संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक विश्व में पीने के पानी की डिमांड 40 फ़ीसदी तक बढ़ जाएगी. हमारा देश भी लगातार पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है. हर साल गर्मियों में कई राज्यों में पीने के पानी की समस्या को लेकर झगड़े और फसाद होने लगते हैं. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ़ भारत ही पानी की समस्या से हल्कान है, तो आप ग़लत हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे देशों के बारे में बातएंगे जो हमारी तरह ही पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं.
कज़ाकिस्तान
यहां की अधिकतर जनता दूषित पानी पीने को बाध्य है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां पर पीने का पानी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनूकूल नहीं है.
मोरक्को
इस देश में भी पानी की मांग और उसकी आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है. यहां पर भी बहुत कम लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध हो पाता है.
अजरबेजान
एक रिसर्च के अनुसार, तेज़ी हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण 2021-2050 तक यहां पर पीने के पानी के 23 फ़ीसदी तक घटने की आशंका है.
मैसोडोनिया
इस देश में वर्षा बहुत कम होती है. इसके कारण यहां का जल स्तर बहुत तेज़ी से घट रहा है.
यमन
यमन में चल रहे ग्रह युद्ध के कारण वहां पीने के पानी की समस्या बढ़ती ही जा रही है. यहां पीने के पानी का कोई प्राकृतिक स्त्रोत मौजूद नहीं है.
लीबिया
ये भी एक युद्धग्रस्त देश है. पीने के पानी की समस्या यहां भी बहुत विकराल रूप धारण कर चुकी है. यहां का करीब 90 फ़ीसदी इलाका रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है.
जॉर्डन
ये मिडल ईस्ट के सबसे सूखे इलाके में बसा है. लगातार गिरते जल स्तर के कारण यहां पर भी पानी का मूल्य दोगुना से अधिक बढ़ चुका है.
ईरान
इसकी पानी की आपूर्ती मुख्य रूप से उर्मिया झील से होती थी, जो अब सूख चुकी है. इसलिए यहां की बढ़ती आबादी भी पानी की समस्या से परेशान है.
किरगिस्तान
किरगिस्तान में हज़ारों ग्लेशियर और झीलें हैं. लेकिन इसके बावजूद ये देश पानी की कमी से जूझ रहा है.
लेबनान
यहां के नागरिक भी भारी जल संकट से जूझ रहे हैं. यहां के लोग पीने के पानी के लिए टैंकरों और बोतलबंद पानी पर निर्भर हैं.
अगर आपको पीने का पानी आसानी से उपलब्ध है, तो बहुत ख़ुशकिस्मत हैं. मगर ध्यान रखिये कि जल ही जीवन है और इसको बर्बाद मत करिये.
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