ज़िन्दगी में हमको बहुत सारे रिश्तों से नवाज़ती है, जिनमें से एक होता है भाई-बहन का रिश्ता. अगर मैं कहूं कि सगे भाई-बहनों के बीच में Peace की कोई जगह नहीं होती बल्कि वो हमेशा लड़ते रहते हैं, तो गलत नहीं होगा. वैसे भी किसी महान शख़्स ने कहा है कि जहां खट्टी-मीठी तकरार होती है, वहीं गहरा प्यार भी होता है. ख़ैर, यहां हम ब्लड रिलेशन वाले भाई-बहनों की बात नहीं करने वाले हैं, बल्कि आज हम अपने कज़न्स के बारे में बात करेंगे.
क्योंकि दोस्तों हम सबकी लाइफ़ में जो सबसे पहला दोस्त आता है, वो होता है हमारा कज़न. कज़न ऐसा दोस्त जो स्कूल जाने से पहले से हमारा दोस्त होता है. वो दोस्त जिसके साथ हम खेलते हैं, शरारत करते हैं. बारिश में कागज़ की नाव बनाते हैं, रक्षा बंधन में साथ मिलकर भरी दोपहरी में छत पर पतंग उड़ाते हैं. वो हमारा रिलेटिव भी होता है और एक अच्छा दोस्त भी. भले ही इनके साथ हमारा खून का रिश्ता नहीं होता है, पर दोस्ती वाला खून का रिश्ता होता है.
गर्मियों की छुटियों में नानी या दादी के घर जाने का मेन मकसद और एक्साइटमेंट तो यही होता था कि हम अपने कज़न उर्फ़ सबसे प्यारे दोस्त से मिलेंगे. पूरे साल गर्मियों की छुट्टियों का इंतज़ार करते थे, कि एक बार फिर खूब मौज-मस्ती और शैतानी करेंगे.
कई बार जो बातें हम अपने दोस्त या सगे भाई-बहन के साथ शेयर नहीं कर पाते वो हम कज़न्स से साथ कर लेते हैं. इसका कारण सिर्फ़ और सिर्फ़ स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग और ट्रस्ट ही होता है. यार ये कज़न्स होते ही ऐसे हैं, ये आपके सबसे पक्के वाले फ्रेंड होते हैं. इनके साथ हम ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत पलों में से कुछ पल बिताते हैं. इनके साथ आप कभी बोर नहीं हो सकते हैं. बचपन हो या बड़े में हर तरह के क्राइम (बॉयफ्रेंड से मिलना हो, किसी को पीटना हो, किसी को परेशान करना हो) में आपके बराबर के पार्टनर होते हैं.
अगर आप जॉइंट फ़ैमिली में रहे हैं, तो आप को भी याद होगा कि कैसे होली हो या दिवाली या रक्षाबंधन हर त्यौहार पर कज़न्स से मिलने का क्या मतलब होता है. क्यों सही कहा न?
पर भले ही आज लोगों के रिश्तों में दूरियां बढ़ गई हैं, लेकिन फिर भी कज़न्स से मिलने का जो क्रेज़ पहले होता था, वो आज भी वैसा हीहोता है.
तो, दोस्तों अपने कज़न्स के साथ आप भी अपनी फ़ीलिंग्स इस आर्टिकल के ज़रिये शेयर करिये.