हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा निर्माण और सृजन के देवता हैं. इन्हें सभी शिल्पकारों और रचनाकारों का ईष्टदेव कहा जाता है. कुछ लोग मानते हैं कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के पुत्र हैं और उन्होंने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी.

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क्या आपने कभी ये सोचा कि भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता क्यों कहा जाता है? या देवताओं के इस सबसे कुशल शिल्पी या आज की भाषा में इंजीनियर ने क्या-क्या बनाया था?

आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी चीज़ें जिनका निर्माण पुराणों और लोक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने किया.

1. सोने की लंका

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वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती से विवाह के बाद, सोने की लंका का निर्माण, विश्वकर्मा जी से करवाया था. शिव जी ने महापंडित रावण को गृह पूजन के लिए बुलाया, तो रावण ने दक्षिणा में उनसे ये सोने का महल ही मांग लिया. 

2. द्वारिका नगरी

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श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में भगवान विश्वकर्मा से द्वारिका नगरी का निर्माण करवाया था. द्वारिका नगरी की लम्बाई-चौड़ाई 48 कोस थी. उसमें वास्तु शास्त्र के अनुसार चौड़ी सड़कों, चौराहों और गलियों का निर्माण किया गया था.

3. शिव जी का रथ

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महाभारत के अनुसार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के वध के लिए भगवान शिव जिस रथ से गए थे, वो विश्वकर्मा ने ही बनाया था. सोने के उस रथ के दाएं चक्र में सूर्य और बाएं चक्र में चंद्रमा विराजमान थे.

4. गोपी तालाब

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भगवान कृष्ण के प्रेम में पागल गोपियां, एक बार एक तालाब के किनारे उनका इंतज़ार कर रही थीं. कुछ दिन बाद जब कृष्ण वहां आये तो उन्होंने गोपियों का समर्पण देखकर उस तालाब का नाम गोपी तालाब रखने का प्रस्ताव दिया. लेकिन गोपियों ने उनसे इस पुराने तालाब की जगह नया तालाब बनवाने को कहा. तब कृष्ण के आदेश पर विश्वकर्मा जी ने एक ख़ूबसूरत तालाब का निर्माण किया, जिसे वर्तमान में ‘गोपी तालाब’ के नाम से जाना जाता है.

5. राजीव लोचन मंदिर

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एक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने एक बार विश्वकर्मा जी से धरती पर उनका ऐसी जगह मंदिर बनाने को कहा, जहां पांच कोस तक कोई शव न जलाया गया हो. भगवान विश्वकर्मा धरती पर आए तो उन्हें ऐसा कोई स्थान नहीं मिला. ये परेशानी बताने पर भगवान विष्णु ने अपना कमल का फूल धरती पर गिराया और विश्वकर्मा से कहा कि जहां ये फूल गिरे, वहीं मंदिर बना दो. वो फूल छत्तीसगढ़ के राजिम में गिरा जहां आज भगवान विष्णु का राजीव लोचन मंदिर है. ये मंदिर कमल के पराग पर बनाया गया है.

6. पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर

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बिहार के औरंगाबाद के ‘देव’ में त्रेतायुग में बना पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर अपनी विशिष्ट कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. मंदिर में काले और भूरे रंग के पत्थरों की नायाब शिल्पकारी है. मंदिर पर लगे शिलालेख में ब्राह्मी लिपि में लिखित श्लोक की तिथि के अनुसार फ़िलहाल ये मंदिर 1 लाख 50 हज़ार 17 साल पुराना हो गया.

7. हस्तिनापुर

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माना जाता है कि प्राचीन काल की जितनी भी राजधानियां हैं, सब भगवान विश्कर्मा ने ही बनाई और बसाई थीं. कलियुग का हस्तिनापुर नगर भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था.

8. भगवान विश्वकर्मा के पुत्र ने बनाया था रामसेतु

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वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम के आदेश पर वानरों ने समुद्र पर पत्थर के पुल का निर्माण किया था. इन वानरों के मुखिया का नाम नल था, जो भगवान विश्वकर्मा के पुत्र थे. उन्होंने सभी शिल्प कलाएं अपने पिता से सीखी थीं.

इसके अलावा पुराने साहित्यों और पुराणों में जगह-जगह बहुत सी वस्तुओं और भवनों का वर्णन है, जिन्हें भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया माना जाता है. इनमें सबसे प्रमुख इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमंडलपुरी, शिव का त्रिशूल, विष्णु का चक्र, पुष्पक विमान, कर्ण का कुंडल, इंद्र का वज्र और धनुष, यमराज का कालदंड आदि हैं.