हर बच्चे की लाइफ़ में आने वाला वो पड़ाव, जिसका डर उससे ज़्यादा उसके मां-बाप को लगता है. ‘Board Exams’. एक अलग लेवल का ख़ौफ़ होता है बोर्ड Exams का. हालांकि अब ये परीक्षाएं पहले के मुक़ाबले ज़्यादा बेहतर हो गयीं हैं, लेकिन अब भी ऐसी कई चीज़ें हैं, जो वैसी ही हैं.
कैसी? जैसे Exam से एक दिन पहले ये सपना आना कि पेपर छूट गया है. हुई है न ये फ़ीलिंग पहले भी? ऐसे ही और कई यादें, जिनसे हर बच्चा दो-चार हुआ है:
1. अरे! एडमिट कार्ड कहां गया?
Exam से पहले की वो रात, जिसमें चार बार चेक कर के एडमिट कार्ड बैग में रख देते थे. सुबह उठ कर सबसे पहले ये चेक करना कि बैग में एडमिट कार्ड है कि नहीं. ग़लती से अगर कार्ड बैग में कहीं छुप जाए, तो जान निकल जाना.
2. कहीं ग़लत पेपर के लिए तो नहीं पढ़ लिया
कमरे के दरवाज़ों और दिमाग़ में डेट शीट चिपकाने के बाद भी ये लगता था कि कहीं ग़लत पेपर के लिए तो नहीं पढ़ रहे. तसल्ली तभी मिलती थी, जब दोबारा डेट शीट में चेक करते थे.
3. तूने वो चैप्टर पढ़ा?
दैत्य का साक्षात रूप होता था वो दोस्त, जो आधी रात को कॉल कर के ऐसे चैप्टर या टॉपिक के बारे में पूछता था, जिसका हमें सिलेबस में नामों-निशां नहीं रहता था. उसको तो बड़े आराम से कह देते कि हमें आता है, लेकिन फ़ोन रखते ही सबसे पहले क़िताब खोल कर उस भूले-बिसरे टॉपिक को रटने की कोशिश करते.
4. कहीं मैं सब भूल गया तो?
किलो भर कॉन्सेप्ट का घोल पीने के बाद ऐसा कोई बच्चा नहीं था, जिसे सुबह उठ कर ये डर न लगा हो कि कहीं सब कुछ पढ़ने के बाद भी वो सब भूल न गया हो. हुआ है न ऐसा?
5. यार ये समझा दे प्लीज़
सारे साल भर मस्ती करने वाला वो दोस्त हमेशा पेपर से एक दिन पहले नोट्स ले जाता था. ये वही दोस्त था, जो एक दिन में पूरी किताब को पढ़ कर जैसे-तैसे पास भी हो जाता था. और हम सोचते थे कि साल भर पढ़ने के बाद भी हम 70 परसेंट ही ला पाए!
6. Question पेपर की तरफ़ आंहें भरती वो निगाहें
ये ख़ास कर पहले बोर्ड के पहले पेपर में होता था, जब आपको कोई Idea नहीं था कि पेपर क्या आएगा. जब ऑन-ड्यूटी टीचर आपकी तरफ़ क्वेश्चन पेपर लेकर बढ़ती थी. डर और Excitement का वो कॉकटेल बड़ा मज़ेदार होता है.
7. मैं हूं या नहीं
वो टाइम, जब पेपर पकड़ते ही लगे कि इसमें 100 तो पूरे हैं… ख़्यालों के इस T-20 के बाद जब बारी आती है असली टेस्ट की, तो सवाल गूगली बन जाते हैं. लिखते-लिखते समझ आता है कि पेपर इतना भी आसान नहीं, जितना हम समझ बैठे थे.
8. बी शीट वाला तीस-मार खां
पूरी क्लास में अलग चौड़ से कोई खड़े उठे, तो वो पक्का बी-शीट मांगने वाला तीस-मार खां ही होगा. जब पूरी क्लास सवालों से जंग कर रही होती है, ये सूरमा शीट पर शीट लेकर सवालों को पछाड़ता है.
9. अरे! ये सवाल तो देखे नहीं!
बड़ा बुरा होता है वो दिन, जब ये सोच कर पेपर कर बाहर आ जाते हैं कि हमारा पेपर बड़ा अच्छा गया है. असलियत तब सामने आती है, जब दोस्त दूसरे पन्ने का सवाल पूछता है. तब पात चलता है कि क्वेश्चन पेपर का ये साइड तो अभी तक देखा ही नहीं !
10. आखरी तक डटे रहने वाले फ़ौजी
पेपर का टाइम ख़त्म होने तक आख़िर में सिर्फ़ दो ही फ़ौजी डटे रहते हैं. एक वो, जिन्हें सब आता है, और एक वो जो दोस्त के भरोसे आता है. दोनों की मेहनत आखरी पलों तक चलती है और टीचर की खींचतान पर ख़त्म होती है.
आपके बोर्ड में भी अगर ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला है, तो हमें ज़रूर बताएं। कुछ नया हुआ हो, तो कमेंट करें.
और बोर्ड Exams के लिए All The Best!