भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि ‘अगर आपको ग़रीबी से ऊपर उठना है तो शिक्षा ही एकमात्र ज़रिया है’. कलाम साहब ने ठीक ही कहा था क्योंकि शिक्षा ही हमें ग़रीबी से मुक्ति दिला सकती है.
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आज महान साइंटिस्ट कलाम के उन्हीं शब्दों से प्रेरणा लेते हुए दिल्ली के राजेश कुमार शर्मा ने भी देश में शिक्षा की क्रांति फ़ैलाने के लिए कमर कस ली है. राजेश इसके लिए ऐसे बच्चों के सपनों को पूरा करने का कार्य कर रहे हैं जो शिक्षा से वंचित रह गए हैं.
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दरअसल, दिल्ली के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा ने पेड़ के नीचे महज़ दो बच्चों को पढ़ाने के साथ अपने इस सपने की शुरुआत की थी. यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के नीचे शुरू हुए इस ख़ास स्कूल में झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चे पढ़ते हैं. राजेश कुमार के इस स्कूल का नाम ‘फ़्री स्कूल अंडर द ब्रिज’ है. इस स्कूल में आज करीब 300 ग़रीब बच्चे पढ़ते हैं.
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ये स्कूल दो शिफ़्ट में चलता है. एक शिफ़्ट में लड़के जबकि दूसरी शिफ़्ट में लड़कियां आती हैं. जिसमें पहली क्लास से 10वीं तक में पढ़ने वाले बच्चे हैं. सुबह 9 बजे से लड़के पढ़ते हैं और 2 बजे से लड़कियां पढ़ती हैं. वर्किंग लोगों के साथ-साथ इन बच्चों को पढ़ाने के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स भी आते हैं.
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‘फ़्री स्कूल अंडर द ब्रिज’ के संस्थापक राजेश कुमार शर्मा बताते हैं कि साल 2006 में एक बार मैं यमुना बैंक के पास से गुजर रहा था. इस दौरान मैंने देखा कि छोटे छोटे बच्चे सामान बेचकर परिवार का पेट पाल रहे हैं. फिर मैंने उन बच्चों को पढ़ाने का निश्चय किया. पेड़ के नीचे महज दो बच्चों से इस स्कूल की शुरुआत की थी आज मेरे पार 300 से ज़्यादा बच्चे पढ़ने आते हैं. मुझे नहीं पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब इतनी संख्या में मेरे पास बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचेंगे.
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राजेश कहते हैं कि बच्चों की ससंख्या बढ़ने लगी तो सबसे बड़ी मुश्किल थी इतने बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ढूंढना, क्योंकि बिना वेतन के काम करने में सभी हिचकिचाते हैं. लेकिन जब लोगों को मेरे इस नेक मकसद के बारे में पता चला तो लोग ख़ुद आकर पढ़ाने लगे. आज हमारे साथ कई लोग जुड़ चुके है. इस स्कूल में कोई शिक्षक ऐसा नहीं है, जिसने कोई डिग्री प्राप्त की हो. इन बच्चों को वर्किंग लोग ही पढ़ाते हैं, लेकिन काम से वक्त निकालकर वो बच्चों को पढ़ाने आते हैं.
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‘दिल्ली स्ट्रीट आर्ट’ की ओर से इस स्कूल को एक नया रूप दिया गया है. यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के नीचे की सफ़ेद दीवार को सतरंगी बनाया गया है, उसमें कई आकर्षक चित्र बनाए गए हैं, ब्लैक बोर्ड के आसपास लाल, हरा, संतरी जैसे कई रंगों से तरह-तरह की चित्रकारी की गई है. ताकि बच्चों में पढ़ाई को लेकर एक अलग उत्साह पैदा हो.
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एक निजी कंपनी की ओर से बच्चों को संतरी कलर की टी-शर्ट भी दी गई है, जिस पर स्कूल का नाम लिखा है. बच्चों को फ़्री किताबें भी दी गयी हैं.