ईमानदारी अभी दुनिया से ख़त्म नहीं हुई. शायद इन्हीं चंद ईमानदारों की वजह से दुनिया टिकी हई है. ऐसा ही तो अकसर लोग कहते हैं और कहीं न कहीं ये बात सही भी है. ऐसा करने वाले असल ज़िंदगी के हीरो होते हैं. देबेंदर कापड़ी हमारे लिए ऐसे ही एक हीरो हैं.

पेशे से टैक्सी चलाने वाले देबेंदर के हीरो बनने की कहानी कुछ इस तरह से है कि उन्होंने एक पैसेंजर को इंदिरा गांधी अंतर्राज्यीय हवाई अड्डा से बैठाया और उन्हें पहाड़ गंज़ पर छोड़ दिया. लेकिन कुछ देर बाद ही देबेंदर को एहसास हुआ कि उस पेसेंजर ने अपना एक बैग उसकी गाड़ी में छोड़ दिया है.

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देबेंदर ने उस बैग को खोलना सही नहीं समझा और वापिस आ कर हवाई अड्डे पर उस बैग को पुलिस को दे दिया. पुलिस ने जब वो बैग खोला, तो उन्हें सोने की ज़्वेलरी, एक iPhone, लैपटॉप, कैमरा और कुछ अमेरिकी डॉलर मिले. इस बैग में मिले समान और कैश को जोड़ा जाए, तो कुल 8 लाख रुपये बनते थे.

पुलिस को मोबाइल फ़ोन से एक नम्बर हाथ लगा, जब उस पर कॉल की गई, तो बैग खोने वाली एक महिला निकली, जिसका इंटरव्यू अमेरिकी एम्बेसी में था. उस बैग से एक शादी का कार्ड भी निकला, जिस पर लिखे नम्बर पर कॉल कर के उस महिला तक ख़बर पहुंचाई गई.

उस महिला का नाम वाणी बताया गया है. वो जब पुलिस स्टेशन पहुंचीं तो उन्होंने न सिर्फ़ पुलिस, बल्कि देबेंदर को भी धन्यवाद कहा.

पुलिस ने टैक्सी ड्राइवर को उसकी ईमानदारी के लिए सम्मानित करने का फ़ैसला लिया है. टैक्सी ड्राईवर देबेंदर की इस ईमानदारी पर आपको और भी गर्व होगा, जब आपको पता चलेगा कि उसके सिर पर करीब 70 हज़ार का कर्ज है और वो कोई OLA या Uber वाला ड्राइवर नहीं है, बल्कि काली-पिली प्राइवेट टैक्सी चलाने वाला ड्राइवर है.

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देबेंदर चाहता तो आराम से उस बैग को अपने पास रख सकता था और उससे मिले पैसे से अपना उधार भी चुकता कर सकता था. लेकिन ये उसकी गैरत के खिलाफ़ था. ऐसे ईमानदार लोग हमारे लिए एक उदाहरण और हीरो दोनों हैं. पूरी ग़ज़बपोस्ट टीम देबेंदर को सलाम करती है.

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