आज के दौर में क्या अमीर, क्या ग़रीब हर किसी के हाथ में मोबाइल होता है, लेकिन 20 साल पहले मामला बिल्कुल अलग था. 90 के दौर में अगर किसी के हाथ में मोबाइल देख लिया तो उसे एलीट ग्रुप का मान लिया जाता था. उस समय हज़ारों में से कुछ गिने चुने लोगों के पास ही मोबाइल हुआ करता था.

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क्या आप जानते हैं भारत में सबसे पहले किस शख़्स ने मोबाइल कॉल की थी? नहीं न? तो चलिए हम बताते हैं

31 जुलाई 1995 का वो ऐतिहासिक दिन जब पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली स्थित संचार भवन में मौजूद केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को देश की पहली मोबाइल कॉल की थी. इस दौरान ज्योति बसु ने कॉल करने के लिए ‘नोकिया 2110’ हैंडसेट का इस्तेमाल किया था. 

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भारत में ‘मोबाइल क्रांति’ की शुरूआत कब और कैसे हुई? 

मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी ‘मोदी टेल्स्ट्रा’ भारत में मोबाइल सेवा शुरू करने वाली पहली कंपनी थी. इस सर्विस का नाम ‘मोबाइल नेट‘ रखा गया था. इस सर्विस को लोगों तक पहुंचाने में नोकिया के हैंडसेट की मदद ली गई थी. मोदी टेल्स्ट्रा बाद में ‘स्पाइस टेलीकॉम’ के नाम से सेवाएं देने लगी. भारत में मोबाइल फ़ोन सेवा का लाइसेंस पाने वाली शुरुआती 8 कंपनियों में ‘मोदी टेल्स्ट्रा’ भी शामिल थी.

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इसकी शुरुआत साल 1994 के मध्य में हुई थी. जब ‘मोदी टेल्स्ट्रा’ के चेयरमैन बी. के. मोदी, ज्योति बसु के आमंत्रण पर उनसे मिलने कोलकाता स्थित राइटर्स बिल्डिंग सचिवालय में उनके कार्यालय पहुंचे. ये एक नॉर्मल मीटिंग थी लेकिन बातों-बातों में ज्योति बसु ने बी. के. मोदी के समक्ष कोलकाता को देश की पहली ‘मोबाइल नेटवर्क सिटी’ बनाने का ऑफ़र दे दिया.

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इस छोटी सी मुलाकात के बाद बी. के. मोदी वहां से तो चले गए, लेकिन उनके मन में ज्योति बसु की वो बात घर कर गयी. इसके बाद मोदी कोलकाता को देश की पहली ‘मोबाइल नेटवर्क सिटी’ बनाने के अपने इस मिशन में लग गए. इस लिए उन्होंने सबसे पहले नोकिया के साथ पार्टनरशिप की.

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करीब 10 महीने बाद 31 जुलाई 1995 को ‘मोदी टेल्स्ट्रा’ के चेयरमैन बी. के. मोदी एक बार फिर से पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु से मिलने पहुंचे. इस बार मोदी पूरी तैयारी के साथ आए थे. इस दौरान उन्होंने वो चमत्कार किया जो हिंदुस्तान में पहले कभी नहीं हुआ यानि कि भारत की पहली मोबाइल कॉल. 

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इस दौरान ज्योति बसु ने बी. के. मोदी की मौजूदगी में कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली स्थित संचार भवन में मौजूद केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को देश की पहली मोबाइल कॉल की थी. इसके साथ ही उनकी ये कॉल इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो गयी.