‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत’
इस पंक्ति को सिद्ध कर दिखाया है केरल के रहने वाले 32 साल के नीरज जॉर्ज बेबी ने.
नीरज ने हाल ही में बैसाखी के सहारे अफ़्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत, माउंट किलिमंजारो पर चढ़ाई की.
जब नीरज 9 साल के थे तब उन्हें अपने घुटनों में ट्यूमर का पता चला, जिसके चलते उन्हें अपना एक पैर खोना पड़ा.
गुरुवार को नीरज ने अपनी बैसाखी ऊंची करते हुए किलिमंजारो की चोटी पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की.
जीवन नीरज के लिए हमेशा एक चुनौती भरा रहा है. नीरज पूरी दुनिया को बताना चाहते थे कि कोई भी चीज़ उनके और उनके सपनों के बीच नहीं आ सकती.
उन्होंने सबसे पहले ख़ुद को फिट रखने के लिए बैडमिंटन का सहारा लिया और धीरे-धीरे इस खेल में उनकी रूचि बढ़ती गई. जल्द ही नीरज ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैरा-बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया.
इज़राइल के तेल अवीव में एक अंतर्राष्ट्रीय पैरा-बैडमिंटन प्रतियोगिता में नीरज ने डबल्स में एक कांस्य भी जीता है.
नीरज अभी केरल एडवोकेट जनरल के ऑफ़िस में असिस्टेंट के तौर पर काम करते हैं. नीरज जल्द ही पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए एक संस्थान भी शुरू करने की सोच रहे हैं.