हर ज़बान की अपनी ही एक ख़ासियत होती है, जो उसे दूसरी भाषा से अलग और ख़ूबसूरत बनाती है. ऐसी ही एक ख़ूबसूरत ज़बान है उर्दू, जिसके आंचल में लिपट कर न जाने कितने ही शायरों ने शेरों और ग़ज़लों को कोरे काग़ज़ पर उतारा, तो कितने ही अफ़सानानिगारों ने अपनी काली स्याही से अफ़सानों को गढ़ा. ये उर्दू ज़बान की ख़ूबसूरती का ही असर है कि इस भाषा का कोई किताबी ज्ञान न होने के बावजूद ये लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ में बसती है. शेर और शायरी का भले ही हमें शौक हो, पर जब इनमें अंतर की बात आती है, तो अपने होंठों पर ख़ामोशी को तार लेते हैं. आज इसी ख़ामोशी को तोड़ते हुए हम आपके लिए उर्दू के कुछ बुनियादी हर्फ़ लेकर आये हैं, जहां से होते हुए कोई ग़ज़ल या शेर पूरा होता है.
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रुबाई
उर्दू अदब से ज़्यादा रुबाई का इस्तेमाल पारसी भाषा की कविताओं में देखने को मिलता है. असल में रुबाई चार लाइनों की कविता है, जिसकी पहली दो और चौथी पंक्तियों को तुकात्मक करने की कोशिश की जाती है, जबकि तीसरी लाइन को आज़ाद रखा जाता है. हिंदी कविताओं में भी रुबाइयों का बहुत इस्तेमाल किया गया है. अब जैसे हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘मधुशाला’ को ही ले लीजिये, जिसमें रुबाई की झलक आपको साफ़तौर पर दिखाई दे सकती है.
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मैं मदिरालय के अंदर हूं मेरे हाथों में प्यालाप्याले में मदिरालय बिंबित करने वाली हालाइस उधेड़बुन ही में मेरा सारा जीवन बीत गयामैं मधुशाला के अंदर या मेरे अंदर मधुशाला
शेर
बचपन में पढ़े रहीम-कबीर के कुछ दोहे तो आपको याद ही होंगे. उर्दू भी इन दोहों से अछूता नहीं है, बस इन दोहों को उर्दू में शेर का नाम दे दिया गया है. दो लाइन में बड़ी-से-बड़ी बातों को समेटना ही इनकी ख़ासियत होती है. अब तो आप भी समझ गए होंगे कि क्यों कुछ शेर दिल के करीब तक जा पहुंचते हैं.
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ग़ज़ल
कई सारे शेर इकट्ठा हो कर एक ग़ज़ल बनाते हैं. इन शेरों की ख़ास बात ये होती है कि अलग-अलग लफ़ज़ होने के बावजूद ये एक ही बात पर केंद्रित होती हैं.
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नज़्म
ग़ज़ल की तरह नज़्मों में भी शेर का इस्तेमाल किया जाता है, पर ये शेर तुकात्मकता के दायरे से आज़ाद हो कर दिल का हाल बताते हैं. इनमें एक शेर एक लाइन का भी हो सकता है, एक पैराग्राफ़ का भी हो सकता है.
एक-दूसरे के करीब होने के बावजूद नज़्म और ग़ज़ल काफ़ी दूर नज़र आते हैं. नज़्मों को पढ़ा जाता है, जबकि ग़ज़लों को गाया जाता है.
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ये थे वो मतले, जिनका इस्तेमाल उर्दू अदब में आम माना जाता है, पर अब भी कुछ चीज़ें छूट गई हैं, जिन्हें आप पूरा कर सकते हैं. उम्मीद है कमेंट बॉक्स में जा कर आप भी हमें उर्दू के कुछ लफ़्ज़ों से हमारा सरोकार कराएंगे.