सपनों की नगरी मुंबई के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे. ‘मायानगरी’ के नाम से मशहूर मुंबई हमारे देश की फ़ाइनेंशियल कैपिटल भी है. इस शहर में हर साल लाखों लोग अपने सपनों को पूरा करने आते हैं. मुंबई देश का एक ऐसा शहर है जहां वाकई में सपने सच होते हैं. 

grholidays

कई द्वीपों के समूह से बना इस शहर की सभ्यता काफी पुरानी है. मुंबई की कहानी भी अपने आप में बड़ी दिलचस्प है. इस शहर के बारे में कहा जाता है कि सदी दर सदी इसमें कई बदलाव होते चले गए और बंबई शहर भारत के लिए हर सदी में महत्वपूर्ण होता चला गया. लेकिन सपनों की नगरी मुंबई में सबसे बड़ा बदलाव पुर्तगालियों के आने के बाद आया था.

oldphotosbombay

बंबई शहर की कहानी है बेहद रोचक 

मुगलों ने सन 1534 तक पूरे भारत में अपना कब्ज़ा जमा लिया था. इस दौरान हुमायूं के बढ़ते कद के चलते गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को डर सताने लगा. वो किसी तरह से हुमायूं को गुजरात से दूर रखने कीतैयारी करने में जुट गया क्योंकि 9वीं सदी से ही बंबई के द्वीप गुजरातियों के पास थे. इसी डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ दिसंबर 1534 में एक संधी की. ये वही संधी थी जिसे ‘बेसिन की संधि’ के नाम से जाना जाता है.

oldphotosbombay

‘बेसिन की संधि’ का मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के क़रीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का एक हिस्सा है) वो पुर्तगालियों के अंतर्गत आ जाएंगे. यहीं से हुई थी बंबई शहर के बनने की असल शुरुआत.

gatewayhouse

इस संधि के बाद सन 1534 में पुर्तगालों ने मुंबई के सभी 7 द्वीपों को अपने कब्जे़ में ले लिया. पुर्तगाली इन सातों द्वीपों को मिलकर एक शहर बसाना चाहते थे ताकी वो यहां एक ट्रेडिंग सेंटर या फ़ैक्ट्री बना सकें. इसके बाद पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom Bahia) कहने लगे, जिसका मतलब था ‘The Good Bay’. बाद में अंग्रेज़ों ने इस शहर को बॉम्बे कहना शुरू कर दिया.

अगले 100 सालों से भी कम समय में द्वीपों का ये समूह बॉम्बे नाम का एक बड़ा शहर बन चुका था. इस दौरान बॉम्बे से कई चीजों का आयात-निर्यात किया जाने लगा. समय के साथ ये एक ऐसा शहर बन गया था जहां बड़े-बड़े महलों से लेकर जहाज़ बनाने के यार्ड तक बन गए.

quora

अंग्रेज़ों ने सन 1612 तक पुर्तगालियों से जंग लड़ी थी, लेकिन इस दौरान बॉम्बे काफी हद तक सुरक्षित था. इस दौरान अंग्रेज़ों ने बॉम्बे के बारे में सिर्फ़ इतना ही सुना था कि पुर्तगाली बॉम्बे नाम की जगह पर अपने जहाज़ों की मरम्मत करते हैं. सन 1626 में पहली बार अंग्रेज़ों ने मुंबई की ओर रुख़ किया. जब अंग्रेज़ों को इस शहर की शानों शौक़त के बारे में पता चला तो उन्होंने बॉम्बे पर हमला कर दिया. इस दौरान अंग्रेज़ों ने पुर्तागालियों के दो नए जहाज़ जला दिए, बिल्डिंगों में आग लगा दी. बावजूद इसके वो यहां से खाली हाथ ही वापस लौटे.

quora

जब दहेज में दे दिया गया था बॉम्बे 

कई कोशिशों के बावजूद जब अंग्रेज़ बॉम्बे को हासिल नहीं कर पाए तो सन 1652 में ‘सूरत काउंसिल ऑफ़ ब्रिटिश अम्पायर’ ने अंग्रेज़ों को सलाह दी कि बॉम्बे को पुर्तगालियों से ख़रीद ले. अंग्रेज़ों ने करीब 9 साल तक बॉम्बे को हासिल करने की कई कोशिशें की, लेकिन हासिल कुछ भी नहीं हुआ. इस दौरान ब्रिटेन के चार्ल्स द्वितीय की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हो गई. जिसके फलस्वरुप 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में दे दिए गए.

dnaindia

हालांकि, चार्ल्स द्वितीय इस शहर पर ज़्यादा दिनों तक राज नहीं कर पाए. वो विवाद से बचना चाहते थे इसलिए चार्ल्स ने बॉम्बे शहर को ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को महज 10 पाउंड सोना सालाना के किराए पर दे दिया.