बिहार में एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) को लेकर हॉस्पिटल के आईसीयू में घुसकर रिपोर्टिंग करने वाली आजतक की पत्रकार अंजना ओम कश्यप अब सवालों के घेरे में आ चुकी हैं.

दरअसल, दिल्ली के सफ़दरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टर विवेक गहलावत ने अंजना ओम कश्यप के काम करने के तरीके पर कई गंभीर सवाल उठाये हैं.
विवेक गहलावत अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखते हैं:
'मुज़फ्फ़रपुर में मेरे एक सीनियर, जो अपने काम के प्रति बेहद समर्पित और परिश्रमी हैं, उनको एक बेवकूफ़ पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने काफी प्रताड़ित किया है. अंजना ने उन्हें प्रताड़ित ही नहीं किया बल्कि जब वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे, तो उनके चरित्र को तार-तार करने का काम भी किया. उन्हें अपमानित किया और उन पर कैमरा देखते ही काम करने के आरोप लगाए.'
अंजना ने इस दौरान न सिर्फ़ मैनपवार और संसाधनों की कमी के बावजूद आईसीयू में ड्यूटी कर रहे एक डॉक्टर के काम को बाधित किया बल्कि उन्हें मानसिक तनाव देने का काम भी किया. केवल एक मज़बूत इच्छाशक्ति वाला शख़्स ही इस तरह की परिस्थितियों में काम कर सकता है. इस दौरान उन्होंने ख़बर को लाइव दिखाकर आईसीयू में भर्ती मरीज़ों की ज़िंदगी की परवाह भी नहीं की.
अपनी झूठी और नकली रिपोर्टिंग के कारण उन्होंने हज़ारों डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशषज्ञों की ज़िंदगी को ख़तरे में डालने का काम किया. उन्होंने पहले से ही बनी गंभीर स्थिति को और भी बदतर बनाने का काम किया.
अस्पताल में अप्रबंधन और बेरूखी का सच सामने लाना ज़रूरी था,है,रहेगा।ICU में आए बच्चों को अटेंडे करना ज़रूरी था,है,रहेगा।प्रोपोगेंडा वाले आज 108बच्चों की मौत भूल गए।डॉक्टर के लिए मगरमच्छी सहानुभूति दिखाने वालों, हेकलिंग का प्रपोगैंडा बंद करिए,फिर याद दिला दूँ-अब तक 108बच्चों की मौत
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) June 19, 2019
मैं देशभर के सभी डॉक्टरों से कृष्ण कुमार दास का समर्थन करने की अपील करना चाहता हूं. डॉक्टर्स के ख़िलाफ़ हिंसा इसलिए होती है क्योंकि हम इस तरह की फ़र्जी रिपोर्टिंग के ख़िलाफ़ बोल नहीं पाते. यही कारण है कि लोगों का डक्टरों के प्रति एक अलग तरह का परसेप्शन बन जाता है. इस तरह की ख़बरें ही डॉक्टर और मरीज़ के रिश्ते को ख़राब करती हैं और हिंसा फैलाती हैं'.

हिंसा की अधिकतर घटनाएं अंजना ओम कश्यप और उन जैसे अन्य पत्रकारों की फ़र्जी और ग़ैर ज़िम्मेदारी वाली रिपोर्टिंग के कारण ही होती हैं. हमने अब तक काफ़ी संघर्ष किया है, अब इनसे लड़ने का वक़्त आ गया है. इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि ट्वीट करें, शेयर करें और कमेंट करें. इन फ़र्ज़ी पत्रकारों के फ़ेक प्रोपेगैंडा को जड़ से ख़त्म करने के लिए इसे जंगल की आग की तरह फैलाएं.
Who allowed you in ICU for such loud live coverage? Try it in a private hospital and then you will see the consequences. You lack all ethics @NitishKumar
— Jaini /উজ্জয়িনী/ اجینی (@IchbinUjjaini) June 19, 2019
अंजना ओम कश्यप को ऑन ड्यूटी डॉक्टर को मानसिक रूप से परेशान करने और कार्य में बाधा डालने, मरीज़ों के सामने उसकी इज्ज़त को तार-तार करने के लिए Medical Protection Act के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए. हम तब तक चुप नहीं रहने वाले, जब तक उसे जॉब से नहीं निकाला जाता और चैनल हमसे माफ़ी नहीं मांगता.
पत्रकारों का इस तरह ICU तक पहुंच जाना बेहद निराशाजनक कदम है.