बीमार आदमी जब भी किसी डॉक्टर के पास जाता है, तो उसे सबसे बड़ी समस्या आती है, डॉक्टर द्वारा इलाज के लिए लिखी गई दवाओं की पर्ची की हैंडराइटिंग समझने में. एक अनुमान के मुताबिक हर साल दुनियाभर में 7 हज़ार लोग डॉक्टर द्वारा लिखे गये Prescription समझ न आने की वजह से मारे जाते हैं.

हाल ही में Medical Council of India (MCI) ने डॉक्टर्स को गाईडलाइन दी है, जिसके अनुसार सभी डॉक्टर्स को इलाज के लिए Prescription लिखते समय Capital Letters यूज़ करने होंगे. इसके अलावा सही तरीके से उन्हें एक्सप्लेन करके भी बताना होगा. काउंसिल के द्वारा उठाया गया कदम तो काफ़ी सराहनीय है, बस देखना यह है कि कितने लोग इसे फॉलो करते हैं.

अपनी राइटिंग की वजह से बदनाम हो चुकी डॉक्टर्स की कौम में से एक डॉक्टर ने Quora पर आकर सफाई दी है कि डॉक्टर्स की लिखावट इतनी खराब क्यों होती है.

आरुषी शर्मा नामक इस डॉक्टर के अनुसार, डॉक्टर बनने की पढ़ाई के दौरान उन्हें काफ़ी बोरिंग और लम्बे एग्ज़ाम पेपर देने होते हैं. कम समय में काफ़ी ज़्यादा चीज़ें लिखने के दबाव की वजह से इतने सालों में लिखावट इतनी बुरी हो ही जाती है.

डॉक्टर्स की लिखावट को लेकर ट्विटर पर भी हमेशा कुछ मज़ेदार देखने को मिलता ही रहता है.

एग्ज़ाम का दबाव अपनी जगह है और किसी इंसान की जान अपनी जगह. डॉक्टर्स को भी समझना चाहिए कि उनकी लिखावट किसी इंसान की जान के लिए कितनी कीमती है, वहीं काउंसिल को भी एग्ज़ाम पैटर्न में ज़रुरी बदलाव करने चाहिए.