हिन्दुस्तान को अगर त्योहारों का देश कहा जाए तो ग़लत न होगा. साल में इतने त्योहार आते हैं, जिनका सही-सही आंकलन कर पाना मुश्किल होता है. ईद हिन्दुस्तान के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे सरकारी भाषा में’ईद-उल-फितर ‘भी कहते हैं. विश्व के सभी कोनों में फैले मुस्लिम समुदाय इसे बड़ी ही श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाते हैं. ईद हमारे लिए महज एक त्योहार ही नहीं बल्कि ऐसा उत्सव है, जो समाज में आपसी भाईचारा फैलाने का एक माध्यम है.
”ईद हो या दीवाली, चहुं ओर एक रौनक सी आई देखो धरती पर फिर से, स्वर्ग की घटा घिर आई ”
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/06/577b94bd19867e712e0ce579_125300985.png)
हमारे देश में जब भी ईद होती है, सबसे ज़्यादा ख़ुशी हमें मिलती है. मुसलमानों के लिए रमज़ान का पाक महीना उनके आत्मशुद्धी के लिए होता है. ईद से जुड़ी कुछ ऐसी यादें हैं, जो मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं.
दरअसल, मैं जिस मोहल्ले में रहता था, वहां मुश्किल से गिने-चुने मुसलमान ही रहते थे. हमारी बातचीत सभी लोगों से होती थी. उन सब में सबसे ख़ास लादेन (पापा और उनके दोस्तों ने ये नाम उनको दिया था) चाचा थे. ईद के दिन वो एक बड़ी परात में रंग-बिरंगी सेवइयों के साथ हमारे घर आते थे. वो सेवईयां इतनी होती थी कि हमारा महीने भर का नाश्ता और भोजन हो जाता था. हम चाहते तो ख़ुद से खरीद सकते थे, मगर हमें उनकी सेवइयों का इंतज़ार रहता था.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/06/577b94bd19867e712e0ce579_899446796.jpg)
यूं तो लादेन चाचा के घर हमारा आना-जाना उतना नहीं था, मगर त्योहारों के समय हमारा रिश्ता फेवीकॉल से भी ज़्यादा मज़बूत हो जाता था. हमें सेवइयों की दरकार थी और उन्हें ठेकुआ (छठ पूजा में बनने वाला प्रसाद) का. बात सिर्फ़ सेवइयों और ठेकुओं की नहीं थी, बात तो उनके बीच छिपी प्यार की थी, जिसे सिर्फ़ महसूस ही किया जा सकता था. और हम करते भी थे.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/06/577b94bd19867e712e0ce579_504778128.png)
लादेन चाचा के छोटे बेटे का नाम अकबर था. वो उम्र में हमसे काफ़ी बड़े भी थे. मगर, हम हिन्दू और मुसलमान के नाम पर एक-दूसरे को चिढ़ाते भी थे. वो कहते थे कि लादेन हिन्दुओं पर बम बरसा देगा, और मेरा जवाब होता था कि अब मियां लोगों का बचना मुश्किल है.
अगर कोई तीसरा व्यक्ति हमारी बातों को सुन ले तो उसे अजीब लगेगा, मगर हमारा संवाद ऐसा ही होता था. ऐसी ही प्यार भरी कहानियां हिन्दुस्तान की हर गली में रोज़ देखने को मिल सकती है. इसे मुहब्बत कहते हैं. यही मुहब्बत हिन्दुस्तान को हिन्दुस्तान बनाती है. वो हिन्दुस्तान जो हमारा अपना हिन्दुस्तान है.
अगर आपका भी कोई इस तरह का अनुभव है, तो हमसे ज़रूर शेयर करें. हम उम्मीद करते हैं कि आप हमारे अपने हिन्दुस्तान को बचाए रखेंगे.
ईद मुबारक!
.