हर जगह का अपना एक कल्चर होता है, जिसे वहां के लोग अपने फ़ेस्टिवल के ज़रिये मनाते हैं. अब जैसे महाराष्ट्र की कृष्ण जन्माष्टमी को ही ले लीजिये, जहां मनाई जाने वाली दही-हांडी किसी बड़े Competition से कम नहीं. सालों से ऐसे ही कई Competition अलग-अलग संस्कृतियों और सभ्यताओं का हिस्सा रहे हैं. इसी तरह का एक Competition, Ethiopia की जन-जातियों के बीच भी मनाया जाता है, जिसमें लोगों का वज़न ही उन्हें विजयी बनाता है.

अपने वज़न को बढ़ाने के लिए बोदी जन-जाति के लोग अपनी झोपड़ियों को छोड़ कर 6 महीने के लिए बाहर रहते हैं. इस दौरान वो बकरी का ताज़ा खून पीते हैं और सेक्स से दूर रहते हैं.

इनकी स्त्रियां हर सुबह इनके लिए बांस के बर्तन में दूध लेकर आती हैं.

अपने शरीर को ढकने के लिए ये लोग मिट्टी और राख का इस्तेमाल करते हैं.

उनके इस फ़ेस्टिवल को कवर करने वाले फ़ोटोग्राफ़र Eric Lafforgue कहते हैं कि गाय इस जन-जाति के बीच काफ़ी पवित्र समझी जाती है. 

इसलिए उसका खून निकालने के लिए उसे मारने के बजाय ये लोग उसकी नसों में छेद करके खून निकालते हैं. इसके बाद मिट्टी की मदद से गाय के घांवों को भर देते हैं.

ये फ़ेस्टिवल उनकी Ka’el रीति-रिवाज का हिस्सा होता है, जिसे नए साल के आगमन की ख़ुशी में मनाया जाता है.

इस फ़ेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए हर घर से एक कुंवारे मर्द को भेजा जाता है. इस दौरान वो मर्द फ़ेस्टिवल से पहले घर नहीं लौट पाता.

इस फ़ेस्टिवल में जीतने वाले शख़्स को उसके मनपसन्द लड़की से शादी करने की आज़ादी रहती है.

फ़ेस्टिवल के अंत में गाय की बलि दी जाती है, जिसके लिए पवित्र पत्थर का इस्तेमाल होता है.

बोदी जन-जाति में लंबी कमर वाली लड़कियों को ख़ूबसूरत कहा जाता है. 

फ़ेस्टिवल के अंत में मर्दों को राख और मिट्टी से नहलाया जाता है.