हम बचपन से एक कहानी सुनते आ रहे हैं. ये कहानी त्रेतायुग की है. उस समय अयोध्या में एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम था राजा दशरथ. राजा दशरथ की तीन रानियां थीं सुमित्रा, कौशल्या और कैकयी. इन तीन रानियों से उनको चार पुत्र हुए राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघन. लेकिन राजा दशरथ की सबसे छोटी रानी कैकयी चाहती थी कि उसका बेटा भरत अयोध्या की राजगद्दी पर बैठे, इसलिए उसके कहने पर दशरथ ने बड़े पुत्र राम को चौदह वर्ष के वनवास पर भेज दिया, राम जी को अकेला जाते देख लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास पर चल दिए. भगवान राम के साथ उनकी पत्नी सीता भी 14 वर्षों के लिए वनवास पर गयी थीं. जंगल में लंकाधीश रावण रानी सीता का हरण कर लेता है. फिर श्री राम रावण का वध करके पत्नी सीता को मुक्त कराते हैं. चौदह वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या वापस लौटते हैं. इसी दिन हिन्दू त्यौहार दीपावली भी मनाई जाती है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक़, भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार भी मना जाता है. राम एक आदर्श बेटे, प्रजा की रक्षा करने वाले राजा, पत्नी को प्यार करने वाले पति और अपने सिद्धांतों पर चलने वाले राजा थे. उनकी इन्हीं ख़ूबियों के कारण उनको मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कहा जाता है.
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ये कहानी तो सभी ने सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्या हुआ जब भगवान राम ने अपने मानव रूप को छोड़ दिया? उनकी मृत्यु के बाद उनके सिंहासन पर कौन बैठा?
1. भगवान राम और सीता के दो पुत्र थे लव-कुश.
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बताया जाता है कि भगवान राम की मृत्यु के बाद बड़ा बेटा ‘कुश’ राजा बना. लेकिन कुश अपने पूर्वजों की तरह एक कुशल शासक नहीं बन पाया. वो इसलिए भी क्योंकि उन्होंने नागों को मारने की कोशिश की थी. जिन्होंने उनके पिता भगवान राम द्वारा दिए बेशक़ीमती पत्थर को चुरा लिया था. भगवान राम को ये बेशक़ीमती पत्थर अगस्त्य ऋषि ने भेंट में दिया था. कथाओं के मुताबिक़, कुश दुर्जय राक्षस से लड़ाई के दौरान मारा गया था, लेकिन उनके पूर्वज कभी, कोई भी लड़ाई नहीं हारे थे. पर जब दुर्जय राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण किया, तो वो इसमें मारा गया था.
2. कुश की मृत्यु के बाद उसका बेटा ‘अतिथि’ राजा बना. कुश और नागकन्या कुमुदवती का बेटा अतिथि अपने पूर्वजों की तरह एक महान राजा था. वशिष्ठ मुनि की देख-रेख में अतिथि एक महान योद्धा बना.
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3. अतिथि की मृत्यु के बाद उसका बेटा ‘निषध’ राजा बना. निषध भी अपने पिता की ही तरह एक महान राजा और योद्धा साबित हुआ.
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4. निषध के बाद उसका बेटा ‘नल’ राजा बना. लेकिन नल राजपाट त्यागकर ऋषि मुनियों के साथ जंगल में रहने लगा.
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5. पिता के राजपाट त्यागने के बाद ‘नभ’ उत्तर कोसला का शासक बना. नभ पर पुंडारीक ने हमला किया था.
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6. पुंडारीक की तरह उसका बेटा क्षेमधनवा भी एक महान योद्धा था.
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7. क्षेमधनवा का बेटा देवानीक भी अपने पिता की ही तरह महान योद्धा था. वो देवास की सेना का प्रमुख भी था.
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8. देवानीक का एक बेटा था जिसका नाम था अहीनागू, जिसने पुरे ब्रह्मांड पर राज किया. जिसे उसकी प्रजा ने ख़ूब प्यार किया.
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9. देवानीक के बाद उसका बेटा परियात्रा राजा बना.
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10. परियात्रा की मृत्यु के बाद उसका बेटा शिल राजा बना, जो कि बहुत विनम्र था.
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इसी तरह साल दर साल राजा बदलते गए और रघुवंश यूं ही आगे बढ़ता गया. अग्निवर्ना इस रघुवंश का आख़िरी राजा था. लेकिन वो हमेशा भोग विलासिता भरी ज़िन्दगी जीने का आदि हो गया था. प्रजा तो दूर की बात उनके मंत्रियों ने भी उन्हें कभी नहीं देखा था. वो विलासिता के कारण बेहद कमज़ोर राजा बन गया था, बावजूद इसके अन्य राजाओं को राघवों से इतना डर था कि उन्होंने कभी भी हमला करने की नहीं सोची. इस तरह अग्निवर्ना की कम उम्र में ही मर गयामृत्यु हो गई. जिस वक़्त वो मरा उसकी गर्भवती पत्नी सिंहासन पर बैठने को तैयार थी और इसी के साथ महान रघुवंशी राजवंश समाप्त हो गया.
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