‘बच्चे हो, तुमसे नहीं होगा.’

‘बच्चों को बड़ों के बीच नहीं बोलना चाहिए.’
‘बच्चे हो, बच्चे की तरह हो’ 

 और अगर इन सब के बाद भी बच्चे नहीं मानते और सवाल पर सवाल करते रहते हैं, तो बड़े चिढ़ कर या तो उन्हें डांट देते हैं या फिर हाथ उठा देते हैं.


बच्चों को बड़े कुछ समझते ही नहीं हैं. बचपन में बड़े भाई-बहन का रौब याद करिए ज़रा. फ़्रिज में बोतल पर बोतल भरवा कर रखना हो या ज़बरदस्ती के काम करवाना हो, बच्चों से सबकुछ करवाया जाता है.

हमारे सामने कई बच्चों के उदाहरण हैं, जिन्होंने साबित कर दिया कि वो बड़ों को काफ़ी बातें सीखा सकते हैं.

1) घायल हुए चूज़े को अस्पताल लेकर पहुंचा Derek C Lalchhanhima 

6 साल के Derek ने साइकिल चलाते वक़्त एक चूज़े को ग़लती से घायल कर दिया. घायल चूज़े और जेब में रखे कुछ पैसों को लेकर ये बच्चा चूज़े का इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंच गया.


बाद में Derek को स्कूल में पुरस्कृत भी किया गया.  

2) हॉर्न के शोर को कम करने का तरीका बताया महिका ने 

11 साल की महिका मिश्रा ने आनंद महिंद्रा को बेवजह हॉर्न से होने वाली परेशानी के बारे में बताया. साथ ही ये भी सलाह दी कि महिंद्रा कार में ऐसा हॉर्न लगाएं, जिन्हें 10 मिनट में सिर्फ़ 5 बार बजाया जा सके. 

3) ग्लोबल वॉर्मिंग पर कदम उठाने पर बड़ों को मजबूर करने के लिए संसद के सामने धरने पर बैठ गई Greta 

जिस उम्र में ज़्यादातर बच्चे करियर और भविष्य की चिन्ता करते हैं, उस उम्र में स्वीडन की 16 वर्षीय Greta Thunberg ने पृथ्वी को बचाने का ज़िम्मा ले लिया. स्कूल से अक दिन छुट्टी लेकर वो हर हफ़्ते संसद के सामने सालभर तक धरने पर बैठी.


Greta की जलाई लौ यूरोप समेत दुनियाभर के देशों में फैली और बच्चे प्रदूषण की रोकथाम के लिए बड़ों पर प्रेशर बनाने लगे. 

स्वीडन के प्रधानमंत्री ने ख़ुद उसे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया.   

4) बच्चों के लिए Drag Club खोला Desmond Naples ने 

LGBTQ Community के एक एक्टिव सदस्य 10 वर्षीय Desmond ने बच्चों के लिए न्यूयॉर्क में Drag Club खोला है. बच्चे अपने आप को एक सुरक्षित माहौल में Express कर सके, इसीलिए Desmond ने छोटी सी कोशिश की है. 

5) Stray Dogs के लिए शेल्टर होम बना दिया चांदनी ने 

9वीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 साल की चांदनी ग्रोवर को कुत्तों से बेहत लगाव है. एक दिन उसने तेज़ी से आती एक कार को एक Stray Dog को बेरहमी से कुचलते देख लिया और तभी कुछ करने की ठान ली. चांदनी ने एक शेल्टर होम बनाया, जिसमें आज 48 Stray Dogs रहते हैं. 

6) इलाके की गंदगी को कम करने के लिए अकेले कदम उठाया रेहान ने 

अहमदाबाद के रेहान ने पिछले साल दिवाली-छठ की छुट्टियों में अपने घर के पास पनप रहे कचरे के ढेर को ख़त्म करने के लिए काम शुरू किया. इलाके और कचरे के ढेर के आस-पास रिसर्च करने से लेकर उसने Municipality को ख़त भी लिखा. 

7) पापा ने टॉयलेट बनाकर नहीं दिया, तो हनीफ़ा ने पुलिस में शिकाय कर दी 

इस दौर में जब पूरा देश स्वच्छता को लेकर कदम उठा रहा है, ऐसे में हनीफ़ा को भी अपने घर में शौचालय बनवाने की धुन चढ़ी. 7 साल की हनीफ़ा ने अपने पापा से 2 साल पहले टॉयलेट बनवाने को कहा था पर पापा ने नहीं बनवाया. मासूम हनीफ़ा ने खाना-पीना छोड़ा दिया और पापा की शिकायत करने थाने पहुंच गई.  

8) 250 ग्रामीण लड़कियों को गोद लेकर उनके सैनिटरी पैड का ज़िम्मा लिया रीवा ने 

दुबई की रीवा ने दुबई में सैनिटरी पैड के लिए पैसे इकट्ठा किए और महाराष्ट्र की 250 ग्रामीण लड़कियों को सालभर के लिए सैनिटरी पैड डोनेट किए. 

बच्चे अच्छे अच्छों को बहुत कुछ सीखा सकते हैं.