केरल को भगवान का घर भी कहा जाता है. यहां के लोग सालों से चली आ रही परंपराओं और उत्सवों को पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. ऐसा ही एक उत्सव है अरातु, जिसके चलते तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को अपने सारे ऑपरेशन कुछ घंटों के लिए बंद करने पड़ते हैं.
तिरुवनंतपुरम के भगवान पद्मनाभ मंदिर में 10 दिनों का उत्सव अरातु साल में दो बार मनाया जाता है. पहला अक्टूबर-नवंबर के महीने में और दूसरा मार्च-अप्रैल में. त्रावणकोर की रिसायत के समय से ही ये त्यौहार मानाया जा रहा है.
पद्मनाभ मंदिर से निकलती है शोभायात्रा
ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी रास्ते से होते हुए जंगल में दैत्य का वध कर लोगों का उद्धार किया था. इसलिए हर वर्ष भगवान की मूर्तियों की शोभायात्रा पद्मनाभ मंदिर से एयरपोर्ट होते हुए शंखुमुखम Beach तक जाती है.
इस उत्सव में त्रावणकोर के राजघराने के सदस्य भी शामिल होते हैं. इसमें पहली रात को पालीवेता का आयोजन होता है, जो मंदिर के अंदर होता है. इसके बाद अगली शाम को मंदिर के पुजारी ढोल-नगाडों के साथ भगवान विष्णु की मूर्ती को गरुड़ वाहन पर पद्मभनाभ स्वामी, श्रीकृष्ण और श्री नरसिम्हा की मूर्तियों के साथ जुलूस निकालते हैं.
रोक दिया जाता है एयरपोर्ट का परिचालन
इसमें सैंकड़ों श्रद्धालू और 4-6 हाथियों को साजा-धजा कर शामिल किया जाता है. इस शोभायात्रा में आगे भगवान, पीछे हाथी और आखिर में ढोल-नगाड़े चलते रहते हैं. ये ढोल ये संकेत देते हैं कि ईश्वर भी इसमें शामिल हैं. ये जुलूस अपने पुराने रास्ते से होकर ही गुज़रता है. इसी रास्ते पर एयरपोर्ट बना है. इसिलिए हर साल एयरपोर्ट से कुछ घंटों के लिए सारी फ़्लाइट्स को रोक दिया जाता है.
शंखुमुखम Beach पहुंचने के बाद सभी लोग समुद्र में स्नान करते हैं. मंदिर के पुजारी मुर्तियों की पूजा कर उन्हें स्नान कराते हैं. इसके बाद फिर से ये जुलूस मंदिर तक वापस जाता है. जाते समय लोग पारंपरिक मशाल लेकर जाते हैं.
एयरपोर्ट अथॉरिटी से लेना पड़ता है स्पेशल पास
मंदिर प्रशासन पहले ही अरातु उत्सव की जानकारी एयरपोर्ट को दे देते हैं. इस समारोह में शामिल होने से लिए लोगों को एयरपोर्ट अथॉरिटी से स्पेशल पास लेने पड़ते हैं. एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ़ के सिपाही उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान करते हैं.