आज के वक़्त में हम जितना प्लास्टिक की चीज़ों से घिरे हैं, उतना ही कैंसर के ख़तरे से भी. सिर्फ़ प्लास्टिक ही नहीं, आज हवा-पानी से लेकर हर वो चीज़ जिससे हम संपर्क में आते हैं वो ज़हरीले और हानिकार पदार्थ से ढके हैं. एक रिसर्च के अनुसार, अगर एक गर्भवती महिला के गर्भ की जांच की जाए तो उसके प्लेसेंटा में करीब 400 से ज़्यादा विषैले पदार्थ मिलेंगे. हमें बाज़ार में घूमते देर नहीं होती कि फट से पानी की बोतल खरीद लेते हैं. हर दो-तीन दिन में एक बार तो बाहर से खाना आॅर्डर हो ही जाता है. ये सब अधिकतर प्लास्टिक की पैकेजिंग में आते हैं.
Food and Drug Administration के अनुसार, प्लास्टिक को गरम करने पर उसमें से 55 से 60 विषैले कैमिकल्स निकलते हैं. हम जब माइक्रोवेव में खाना गरम करते हैं या प्लास्टिक की प्लेट में खाना निकालते हैं तो उस प्रक्रिया में Oestrogen जैसे कैमिकल शरीर में जाते हैं. इससे हार्मोन असंतुलन होता है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर करता है. इससे Polycystic Ovarian Disease यानि PCOD, अंडाशय में दिक्कत, ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर और Prostrate कैंसर समेत कई बीमारियां हो सकती हैं.
Oestrogen हारमोन जैसे केमिकल और बाकी विषैले पदार्थों का शरीर पर असर बेहद ख़तरनाक होता है. इस हानिकारक कैमिकल की वजह से पुरुषों के शुक्राणुओं की क्वालिटी ख़राब होती है. प्रोलैक्टिन ज़्यादा होने पर महिलाओं को गर्भवती होने में दिक्कत होती है. ब्रेस्ट कैंसर होने का मुख्य कारण Oestrogen है, जिसमें ट्यूमर के बढ़ने का कारण ये केमिकल बन सकते हैं.
प्लास्टिक से बेहतर क्या है?
प्लास्टिक के बदले स्टील, तांबे या कांच के बर्तन बेहतर होते हैं. पीने की बोतल से लेकर खाने के बर्तन सब इससे बदले जा सकते हैं. बच्चे की दूध की बोतल भी कांच की या स्टील की हो तो बेहतर है. रेस्टोरेंट से खाना मंगवाने से बेहतर है वहीं खा लें, इससे फ़ैमिली आउटिंग भी हो जाएगी और परिवार के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी नहीं होगा.