जब हम किसी जगह के बारे में ख़ुद नहीं जानते होते, तो सुनी-सुनाई बातों के आधार पर उसके बारे में एक धारणा बना लेते हैं. दक्षिण भारत और दक्षिण भारतीयों को लेकर भी लोगों के मन में कई धारणाएं हैं. ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि उन्हें उत्तर भारतीय या हिंदी बोलने वाले लोग पसंद नहीं होते. लेकिन इस लड़के का अनुभव सुन कर आपकी सोच बदल जाएगी. एक उत्तर भारतीय का अनुभव दक्षिण भारत में बुरा ही हो, ऐसा बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है.
अभिलाष दीक्षित बताते हैं कि वो लगभग तीन साल पहले चेनई गए थे, और उनके दिमाग में भी इस तरह के कई सवालऔर धारणाएं थीं. तमिलनाडु जाकर उन्होंने क्या पाया, ये आप उन्हीं के शब्दों लीजिये:
मैं एक IT प्रोफ़ेशनल हूं और अपने करियर की शुरुआत में चेन्नई आया था. मन में काफ़ी उत्साह और जिज्ञासा भी थी. मेरे आस-पास के लोगों ने मुझे पहले ही डरा दिया था कि उत्तर भारतीय हो, तो वहां बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा. यही वजह थी कि थोड़ा डरा हुआ भी था.
सबसे पहले मेरी बात कैब ड्राइवर से हुई. मुझे एयरपोर्ट से कम्पनी गेस्ट हाउस जाना था. मैंने उसे अंग्रेजी में रास्ता बताया, उसे समझ नहीं आया. वो बोला,
‘hindi mein bolne ka saar, main samajta hindi toda’
क़रीब चालीस मिनट के रास्ते में हमने हिंदी में ही बात की. उसकी टूटी-फूटी हिंदी सुन कर बहुत अच्छा लगा.
अगले दिन मैं ऑफ़िस पहुंचा और अपने मैनेजर से मिला, वो भी तमिल हैं. उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और बोले,
‘jada difficulty to nahi hua office search karne me’
वो उनका प्रयास था मुझे सहज महसूस कराने का. उन्हें ज़्यादा हिंदी नहीं आती थी फिर भी वो मुझसे हिंदी में बात करने का प्रयास करते थे. नहीं कर पाते थे, वो बात और है, लेकिन प्रयास करना मायने रखता है.
मैं कई ऐसे लोगों को जनता हूं, जिन्हें हिंदी नहीं आती पर वो फिर भी कुछ हिंदी शब्दों को मिला कर वाक्य बनाने की कोशिश किया करते थे.
यहां के दुकानदार, सब्ज़ी वाले, ड्राइवर, सभी पूरी कोशिश करते हैं कि समझ पाएं कि आप क्या कह रहे हैं. वो जिस तरह भी आपकी मदद कर सकते हैं, करते हैं.
यहां बात भाषा की नहीं होती, बल्कि एक-दूसरे को इज़्ज़त देने की होती है. मैंने इन सालों में थोड़ी बहुत तमिल सीखी, वो भी इन्हीं लोगों की बदौलत. आप हिंदी बोलेंगे तो भी वो आपसे प्यार से पेश आएंगे, आप उनकी भाषा में बात करेंगे, तब भी.
जब मैं अपने दोस्त से पूछता “lunch polama?? (लंच करने चलें क्या) तो वो जवाब देता “5 minute mein chalo’ और साथ में ख़ूब सारे स्माइली बनाता. जब मैं चेन्नई से निकल रहा था, तो मेरे साथ ये ही अच्छी यादें रह गयी थीं.
इस कहानी से सीख मिलती है कि किसी एक इंसान के अनुभवों के आधार पर पूरे क्षेत्र को बुरा नहीं कहना चाहिए. बुरे लोग हर जगह होते हैं. उन्हें इग्नोर कर के अच्छे लोगों को देखें. ज़िन्दगी में एक बार तमिलनाडु ज़रूर जाएं, ताकि वहां की सुंदर जगहों और लोगों को जान पाएं.