हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद से लगातार भारत और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बीच, कश्मीर एक बड़ा और विश्वस्तरीय मुद्दा बना हुआ है. न तो पाक इस भारतीय हिस्से पर अपना दखल कम होने देना चाहता है और न ही भारत अपने इस हिस्से को आधिकारिक रूप से पाकिस्तान को देना चाहता है. आज हम आपको उस कश्मीर के बारे में ऐसे तथ्य बताएंगे, जो पाकिस्तान ने अपने अधिकार में ले रखा है. इसे ही भारत के लोग ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ या PoK (Pakistan Occupied Kashmir) कहते हैं. इसे ही पाकिस्तान के लोग ‘आज़ाद कश्मीर’ कहते हैं.

1. यूनाइटेड नेशंस और दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संगठन PoK का उल्लेख, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (Pakistan administered Kashmir) के रूप में करते हैं. PoK की सीमाएं चीन और अफगानिस्तान से मिलती है.

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2. Pok पर कभी भी सीधे तौर पर अंग्रेजों ने शासन नहीं किया. ब्रिटिश काल में कश्मीर महाराजा हरि सिंह के शासन में था. इसलिए तकनीकी तौर पर ये अंग्रेजी हुकूमत के अंतर्गत नहीं आया.

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3. बंटवारे के समय जब जम्मू और कश्मीर को ये विकल्प दिया गया कि वह भारत या पाकिस्तान में से किसी एक का हिस्सा बन जाए, तो महाराजा हरि सिंह का निर्णय था कि जम्मू और कश्मीर स्वतंत्र राज्य रहेगा.

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4. जब पाकिस्तान के पठान आदिवासियों द्वारा जम्मू और कश्मीर पर आक्रमण किया गया. पाकिस्तान ने इस आक्रमण के पीछे अपनी किसी भी भूमिका से इंकार कर दिया, लेकिन प्रमाण अलग ही कहानी कहते हैं.

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5. PoK का क्षेत्र 13,297 वर्ग किलोमीटर का है, जिसमें 4.6 लाख की आबादी रहती है. इसकी राजधानी मुज़फ्फराबाद है.

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6. महाराजा हरि सिंह ने उस समय के भारतीय गवर्नर जनरल लार्ड माउन्टबेटन को एक पत्र लिखकर उनसे पठान आदिवासियों के आक्रमण की स्थिति में मदद की मांग की. जवाब में लार्ड माउन्टबेटन ने एक कमेन्ट के साथ ये बात मानी.

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‘हमारी सरकार की इच्छा है कि जितनी जल्दी हो सके जम्मू और कश्मीर में कानून-व्यवस्था कायम हो और उस धरती से आक्रमणकारी हट जाएं, राज्य के विलय की प्रक्रिया जनमत के मुताबिक पूरी की जाए.’

अंत में 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू और कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के कागजातों पर हस्ताक्षर कर दिए.

7. जम्मू-कश्मीर में 26 अक्टूबर को ‘विलय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग आतिशबाजी करते हैं और भारतीय राष्ट्रगान गाते हैं, साथ ही भारतीय ध्वज को फ़हराया जाता है.

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8. अलगाववादियों के लिए ये दिन ‘ब्लैक डे’ की तरह होता है.

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9. PoK का सुदूर उत्तरी पार्ट, जो चीन के हिस्से के तौर पर दिखाया जाता है, दरअसल 1963 में हुए Sino-Pakistan समझौते का परिणाम है. तकनीकी रूप से पाकिस्तानियों ने इस भू-भाग को चीन को भेंट कर दिया. इस क्षेत्र के लिए नक़्शे में लिखा है कि ‘यह क्षेत्र 1963 में पाकिस्तान द्वारा चीन को सौंप दिया गया है.’

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10. PoK का दावा है कि उसकी खुद की सरकार द्वारा संचालित विधान सभा है, जबकि ये सच सबको पता है कि ये पाकिस्तान के नियंत्रण में है.

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11. PoK के राष्ट्रपति राज्य के मुखिया हैं, जबकि प्रधानमंत्री मुख्य कार्यकारी अधिअकरी हैं, जिनके अंतर्गत मंत्रिपरिषद काम करती है.

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12. ये भी एक तथ्य है कि PoK का अपना सुप्रीम कोर्ट और एक हाई कोर्ट भी है.

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13. दक्षिण एशिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के कई ट्रेनिंग कैम्प पाक अधिकृत कश्मीर में हैं.

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14. मुंबई हमलों के एकमात्र जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को PoK की राजधानी मुज़फ्फराबाद में ही समुद्री युद्ध प्रशिक्षण दिया गया था. जो कि पाकिस्तान के नियंत्रण में है.

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15. PoK में कोई भी स्वतंत्र मीडिया नहीं है. यहां सब कुछ पाक सरकार के नियंत्रण में है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यहां कोई अधिकार नहीं दिया गया है.

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16. केवल ‘आज़ाद कश्मीर’ रेडियो के प्रसारण को ही यहां अनुमति दी गई है.

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17. PoK की 87% आबादी खेती करती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि पर निर्भर करती है. पर्यटन भी यहां के लोगों की आर्थिक मदद करता है. ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रिटिश मीरपुरी समुदाय यहां पर पैसे भेजता है.

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18. 1971 के युद्ध के अलावा, अब तक भारत-पाक के बीच हुए सभी विवादों का मुख्य कारण PoK ही है.

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19. PoK का मसला दोनों देशों के लिए अब सिर्फ़ सम्मान का मसला है. नहीं तो, भारत या पाकिस्तान किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला है. दोनों देशों की जो भी सरकार इस मसले पर नर्म रुख अपनाती है, उसकी पार्टी के लिए ये सुसाइड करने जैसा माना जाता है.

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20. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरु द्वारा PoK का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र तक ले जाना काफी लोगों द्वारा एक गलत निर्णय माना जाता है. यही वजह है कि ये मुद्दा अब भी विवाद की वजह बना हुआ है.

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21. भारत-पाक के बीच 1947 में हुए युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने बीच में हस्तक्षेप किया और सीज़फायर का आदेश दिया. लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा जनमत संग्रह की मांग को आगे नहीं बढ़ाया जा सका, क्योंकि बहुत से मसले हल नहीं किए जा सके थे. तब से लेकर अब तक पाक और भारत के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही गया. 

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