‘आंख दिखाता है मादरजात’ पिछले साल इंटरनेट पर ये मीम लोगों के बीच ख़ासा चर्चित हुआ था. आपको पता ही होगा कि ये प्रकाश झा की फ़िल्म गंगाजल का मशहूर डायलॉग है. लेकिन क्या आपको उस डायलॉग के पीछे की सच्चाई पता है? उसे जानने के लिए आपको साल 1980 के बिहार को जानना होगा.
बिहार के भागलपुर जिले में अपराध अपने चरम पर था. अपहरण, लूट, हत्या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए अपराधियों को रात के अंधेरे का इंतज़ार नहीं होता था, सबकुछ सरेआम हो रहा था.
पुलिस प्रशासन की हालत बिना दांत-नाखून वाले शेर की थी, वो अपराधियों को पकड़ लेने में कामयाब भी हो जाते, तो सबूत जुटाने में नाकाम हो जाते. पूरे इलाके में किसी में हिम्मत नहीं होती कि वो बाहुबलियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा दे.
अपराध पर काबू पाने के लिए पुलिस ने ऐसा कदम उठाया जिसका दूसरा उदाहरण ढूंढने पर नहीं मिलता. गुप्त रूप से ऑपरेशन का नाम रखा गया ‘गंगाजल’.
एक रात भागलपूर के नवगछिया थाने में मौजूद सभी नामज़द अपराधियों के आंखों को सुआ(मोटा सूई) से फोड़ कर उसमें तेज़ाब भर दिया गया. भागलपूर के अन्य थानों में भी ऐसी ही घटनाए हुईं. बताया जाता है कि दो साल के भीतर कुल 33 अपराधियों को इस बर्बर तरीके से अंधा किया गया.
इस पुलिसिया रवैये से अचानक से भागलपुर के अपराध का ग्राफ़ गिर गया, शहर में शांति व्यवस्था कायम हो गई. लड़कियां ख़ुद को सुरक्षित महसूस करने लगीं थीं. ध्यान रहे, ये घटना तबतक मीडिया की नज़र में नहीं आई थी और जब मीडिया में ख़बर बनी तो इसे ‘अंखफोड़वा कांड’ नाम दिया गया.
जब मामला मीडिया में छाया तब एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव आयोग संस्थाओं ने इसकी पुरज़ोर भर्तस्ना की, दूसरी ओर भागलपुर की स्थानीय जनता पुलिस के साथ खड़ी हो गई. जब दिल्ली से जांच करने वाली टीम भागलपुर पहुंची, तो पूरे शहर में विरोध प्रदर्षण हुआ, सड़कें जाम कर दी गई.
हालांकि दोषी पुलिसकर्मियों का नाम सामने आया, कोर्ट में उनकी हाज़री हुई लेकिन आगे क्या कार्यवाई हुई ये कभी सामने नहीं आया. तत्कालीन भागलपुर एस.पी बी. डी. राम अब रिटायर होकर राजनीति में उतर चुके हैं. 33 में से 13 पीड़ितों की मृत्यु इलाज के अभाव में उसी समय हो गई थी. जीवित पीड़ितों को सरकार महीने के 750 रुपये भत्ता देती है.
‘अंखफोड़वा कांड’ की कहानी यहीं नहीं ख़त्म होती. भागलपूर में इसकी वजह से एक ट्रेंड बन गया है, जो बदसतूर अब भी छुट-पुट तरीके से सुनने में आ जाता है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें आपसी रंजिश और लड़ाई की वजह से आंख फोड़ कर उसमें तेज़ाब डाल दिया गया.