कभी वो मज़दूर थे, मगर अपनी मेहनत और लगन से वो पायलट बने. अब वो ग़रीब परिवार के छात्रों को Aviation इंडस्ट्री में करियर बनाने में मदद करते हैं. पिछले 3 दशक में वो 42,00 बच्चों को पायलट और Aviation एक्सपर्ट बना चुके हैं. अब उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री के लिए नॉमिनेट किया गया है.
बात हो रही है सूरत के रहने वाले अमृत मानेक की. जीवन में इन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, मगर कभी हालातों के आगे घुटने नहीं टेके. उनकी 7 पीढ़ियों में से भी कोई स्कूल नहीं गया था, लेकिन उन्हें पढ़ने का शौक था. अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए कभी खेतों में मज़दूरी की तो कभी किसी फ़ैक्टरी में काम.
7वीं कक्षा में पायलट बनने का बनाया लक्ष्य
जब वो 7वीं कक्षा में पढ़ रहे थे तब खेतों में काम करते हुए उन्होंने एक प्लेन को अपने ऊपर से जाते हुए देखा. तभी ठान लिया कि वो पायलेट बनेंगे. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वो अपने पिता के साथ मुंबई आ गए. यहां उनके पिता ने एक स्कूल में चपरासी की नौकरी कर ली. मलाड में 10*12 की खोली में रहते थे.
अपने हालातों से लड़ते हुए अमृत ने Siddhartha College of Commerce में एडमिशन ले लिया. यहां भी वो प्लेन को अक्सर अपने ऊपर से उड़ते हुए देखते थे. इस दौरान उन्होंने 1920 में प्रकाशित हुई Charles Lindberge नाम के एक युवा पायलट की कहानी पढ़ी. इसने उनके सपने को पंख दे दिए.
ग़रीब समुदाय के बच्चों को पायलट बनने में मदद करते हैं
अमृत ने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए और मेहनत की. उन्होंने कॉलेज में एनसीसी जॉइन कर ली. यहां बेस्ट कैडेट का ख़िताब और गोल्ड मेडल जीता. इस बारे में जब सूरत के एक व्यापारी को पता चला, तो उन्होंने अमृत को पुरस्कार स्वरूप 5000 रुपये दिए.
इन रुपयों की मदद से अमृत ने Gujarat Flying Club दाखिला ले लिया. यहां से उन्होंने पहले स्टूडेंट और 1985 में प्राइवेट पायलट लाइसेंस हासिल किया. अब उनके हौसले बुलंद थे. इसी के दम पर अमृत ने अपना ख़ुद का Aviation स्कूल खोला. Skyline Aviation Club नाम के इस स्कूल में वो एससी, एसटी, ओबीसी और ग़रीब समुदाय के बच्चों को पायलट बनने में मदद करने लगे.
सरकार की मदद से विदेश में ली कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग
वो इस स्कूल को विस्तार देना चाहते थे, मगर पैसे की तंगी के कारण ऐसा नहीं कर पाए. फिर अमृत ने वर्ष 1988 में गुजरात के तत्कालीन मुख्य मंत्री Amarsinh Chaudhary से मदद की गुहार लगाई. उनकी मदद से वो विदेश में पढ़ाई करने के लिए 172000 रुपये का लोन पाने में कामयाब हो गए.
अमेरिका में भी खोला है Aviation स्कूल
इसके बाद वो अमेरिका चले गए और वहां से कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेकर इंडिया वापिस आ गए. 1990 में अमृत ने बोरिवली में Full-Fledged Aviation School खोला. वो जुहू में हेलीकॉप्टर्स को चलाने की ट्रेनिंग देते हैं और अलीगढ़ में एरोप्लेन की. तब से लेकर अब तक वो हज़ारों पायलट तैयार कर चुके हैं. अमृत अब अमेरिका में भी एक Aviation स्कूल चला रहे हैं.
देश को ऐसे ही जुझारू नागरिकों की ज़रूरत है. उम्मीद है अमृत मानेक को पद्मश्री पुरस्कार भी पाने में कामयाब होंगे.