प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए वो दीमक बन चुकी है, जो पूरे पर्यावरण को खोखला कर रही है. ये Non-Disposable Plastic पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में से एक है. पर्यावरण को प्लास्टिक से बचाने के लिए कोटुमाचगी गांव के वीरेश नेगली, जो एक किसान हैं उन्होंने एक अनोखा क़दम उठाया है. इसके चलते वीरेश होटल, किराने की दुकानों, पान की दुकानों आदि से प्लास्टिक की चीज़ें इकट्ठा करते हैं और फिर इस प्लास्टिक का इस्तेमाल पौधे लगाने के लिए करते हैं.  

इन प्लास्टिक बैग में पौधे लगाने से पहले वो बैग को अच्छी तरह से धोते हैं, फिर जैविक खाद भरते हैं और उसके बाद पौधे लगाते हैं. प्लास्टिक सामग्री को इकट्ठा करने के लिए उन्होंने दुकानों में खाली बक्से रखे हैं, जहां विक्रेता वेस्ट प्लास्टिक डाल सकते हैं. इससे उन्हें बार-बार जाना नहीं पड़ता है. शाम को जाकर वो सारी प्लास्टिक कचरा एक बार में ले आते हैं. 

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उन्होंने The New Indian Express को बताया कि,

बोतलें, ट्रे, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सुपारी और पान मसाले का पैकेट, चॉकलेट बैग और अन्य के लिए किया जाता है. मैं सब कुछ इकट्ठा करता हूं. इसके ज़रिए मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि प्लास्टिक को फेंकना सही विकल्प नहीं है क्योंकि उनका उपयोग किया जा सकता है. मैं रोज़ाना सैकड़ों बैग इकट्ठा करता हूं ताकि वो मिट्टी में न मिलें. मैं जन्मदिन, विवाह और स्कूल के कामों पर पौधे बांटता हूं. पहले दुकानदार मेरे इस प्रयास पर मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन बाद में उन लोगों ने मुझे प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया. मैं पिछले एक साल से ऐसा कर रहा हूं.  

-वीरेश नेगली

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इसके अलावा. Raita Samparka Kendra की Hema Marad का कहना है, 

वो एक आदर्श है और अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में उनके क़दम को बहुत सराहना मिली है. वो जैविक खाद का उपयोग करते हैं और दूसरों को भी बेहतर पैदावार के लिए इसे उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. ऐसे किसान पर हमें गर्व है. 

वीरेश आज जो कर रहे हैं, वो सरहानीय है. उनके इस क़दम से आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और साफ़-सुथरा वातावरण मिलने में मदद मिलेगी. 

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