हाल ही में चंद्रयान-2 की सफ़लता पर पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. भारत का चंद्रयान-2, चांद के उस हिस्से पर जाएगा जिस पर आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है. इस अचीवमेंट के पीछे रॉकेट मैन के. सिवन का बहुत बड़ा हाथ है.
इसरो चीफ़ रॉकेट मैन के.सिवन स्पेस डिपार्टमेंट में सेकेट्ररी और स्पेस कमीशन में चेयरमैन भी हैं. इंडिया के स्पेस प्रोग्राम में उनका सबसे बड़ा योगदान क्रायोजेनिक इंजन को डेवलप करने का रहा है.
इसरो का पार्ट बनने से पहले के.सिवन तिरुवनंतपुरम में ‘विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर’ के डायरेक्टर थे. वहां भी उनका कॉन्ट्रीब्यूशन कम नहीं था. वहां भी के. सिवन जीनियस थे. उन्होंने कई बेहतरीन आइडियाज़ दिए जिसमें इसरो के लिए 104 सैटेलाइट्स का लॉन्च भी शामिल था. ये लॉन्च फ़रवरी 2017 को हुआ था. मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए उनके बनाये हुए PSLV C-40 रॉकेट की आज भी बात होती है.
इंडिया को स्पेस में इतनी कामयाबी दिलाने वाले के. सिवन की शुरुआत बड़ी ही साधारण रूप से हुई थी. उन्होंने तमिलनाडु के कन्याकुमारी ज़िले के एक तमिल स्कूल में पढ़ाई की. इतने पैसे नहीं होते थे कि वो ट्यूशन या कोचिंग क्लास जा सकें, इसलिए उन्होंने ख़ुद ही बहुत मेहनत की.
एक ग़रीब परिवार से आने वाले के.सिवन ने अपनी स्कूलिंग के बाद अपनी बैचलर्स गणित में चेन्नई के एस.टी. हिंदू कॉलेज से करने का निर्णय लिया. अपने बेहतरीन और आसाधारण कौशल से वो सबकी नज़रों में आ गए, जिसके बाद उन्हें स्कॉलरशिप मिल गई. MIT कॉलेज से वो एरोनॉटिकल इंजीनियर बन कर निकले.
पर ये के. सिवन की पढ़ाई का अंत नहीं था. MIT से ग्रेजुएट होने के बाद साल 1980 में उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की, जिसके बाद उन्होंने 1982 में इसरो जॉइन कर लिया.
गुदड़ी का लाल 💪
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) July 23, 2019
Meet the Man behind India’s 2nd Moon Mission #Chandrayaan2
Scientist Dr K Sivan
Son of a Farmer who Studied in Govt school of his village and now chairman of Indian Space Research Organisation(ISRO)
Sivan Sir,Salute🙏Nation is Proud of You & your team🌺Jai Hind🇮🇳 pic.twitter.com/GnlC5WN09a
इसरो में आने के बाद के.सिवन ने अपनी टीम के साथ मिल कर कई उपलब्धियां प्राप्त कीं. हाल ही में लॉन्च हुआ चंद्रयान-2, के.सिवन और उनकी टीम की ही काबिलियत का नतीजा है.
आज के.सिवन पर न सिर्फ़ पूरे देश को गर्व है. उनके करियर में भी उन्हें कई अवॉर्ड्स मिलते रहे हैं. साल 2014 में उन्हें सत्यबामा यूनिवर्सिटी से ‘डॉक्टर ऑफ़ साइंस’, 1999 में श्री हरिओम आश्रम प्रेरित डॉक्टर विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड और 2007 में इसरो मेरिट अवॉर्ड मिला है.
उन्होंने अपनी अचीवमेंट्स को बस अपने तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि दुनिया के साथ भी साझा किया है. वो कई बुक के को-ऑथर भी रहे हैं. साल 2015 में आई इंटीग्रेटेड डिज़ाइन फ़ॉर स्पेस ट्रांसपोटेशन सिस्टम के भी वो को-ऑथर हैं.