दुनिया में हर पल कुछ न कुछ घट रहा होता है. कई बार आपकी किसी खास जगह पर मौजूदगी आपको ऐसे नजारों से रू-ब-रू करा देती है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ है एक ब्रिटिश व्यक्ति के साथ, टॉम लिटिलजोंस नामक ये व्यक्ति जब पहाड़ों पर ट्रिप करने पहुंचा, तो भालू और भेड़ियों के बीच जिंदगी बचाने की कवायद को उसने अपने कैमरे में उतार लिया.
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भालू और भेड़ियों की इस खूंखार भिड़ंत को टॉम ने काफ़ी बारिकी से अपने कैमरे में ढाल लिया. तस्वीरों से जाहिर है कि कुछ भेड़िए अपने शिकार का मज़ा उठा रहे थे, लेकिन तभी एक साढ़े छह फुट लंबे भालू ने उनकी पार्टी में खलल डाल दिया. हालांकि, अपने खाने को बचाने के लिए ये भेड़िए भरपूर कोशिश करते हैं, लेकिन इस विशालकाय और ख़तरनाक भालू के आगे सभी भेड़िए एक के बाद एक चित होते जाते हैं.
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भालू की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि सभी भेड़ियों को खदेड़ने के बाद वह आराम से इस हिरण के गोश्त का मज़ा उठा रहा था. 75 साल के लिटिलजोंस गिल्डफोर्ड में एक लॉजिस्टिक्स कंसल्टेंट हैं और वे मोंटानो के पहाड़ों में एक ट्रिप पर आए थे. उन्होंने कहा कि ये काफी दिलचस्प है कि शांत और विनम्र नज़र आने वाले ये भेड़िए, भालू के आने पर ख़तरनाक तरीके से आक्रामक हो गए और अपने शिकार को बचाने की इनकी कवायद देखते ही बनती थी.
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गौरतलब है कि भूरे रंग के ये भेड़िए 1940 के दशक में 48 स्टेट्स से लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे, लेकिन मध्य इदाहो और येलोस्टोन नेशनल पार्क के द्वारा चलाए गए एक प्रोग्राम की बदौलत इन भेड़ियों की जनसंख्या में काफ़ी इज़ाफा हुआ है. 2012 के अंत तक पूर्वी रॉकी क्षेत्र में इन भेड़ियों की जनसंख्या 1674 के आस पास हो चुकी है.
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वहीं इन भेड़ियों की तुलना में यहां 1500 भालू मौजूद हैं, जिनमें से 800 भालू मोंटाना में रहते हैं. वहीं 600 व्योमिंग में रहते हैं. लिटिलजोंस द्वारा खींची गई ये फ़ोटोज़ दरअसल इस क्षेत्र के हिसाब से बेहद आम हैं. ये भालू अपनी सूंघने की गजब क्षमता के चलते कई बार दूसरे जानवरों का निवाला छीनने में कामयाब रहते हैं.
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भेड़ियों को पता था कि इस भालू से भिड़ना आसान नहीं है. शायद इसी वजह से एक भेड़िया इस भालू का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है. वहीं बाकी बचे भेड़िए मरे हुए हिरण को जितना हो सके, खाकर अपना पेट भर लेना चाहते हैं.
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लेकिन भालू का कद ही इतना बड़ा था कि अगर भेड़िए उस पर तीखा आक्रमण करने की कोशिश करते भी, तो भी वह केवल बैठकर ही भेड़ियों के कई हमलों का जवाब दे सकता था. हालांकि, खास बात ये है कि इस तरह की खूंखार भिडंत में शायद ही कभी ऐसा होता था कि कोई जानवर बुरी तरह से घायल हो जाए या फिर लड़ते-लड़ते किसी जानवर की मौत हो जाए.