आजकल बच्चे 2 से 3 साल की ही उम्र में स्कूल भेज दिए जा रहे हैं. जब वे स्कूल का मतलब भी नहीं समझ रहे होते, तभी उनके कन्धों पर बैग का वजन लाद दिया जाता है. वे अपनी मासूमियत और बचपन को स्कूल के टेस्ट्स, एग्ज़ाम्स में भूलते चले जाते हैं और फिर अगले 14-15 सालों तक यही चलता है. एक छोटा-सा बच्चा बड़ा हो जाता और ज़िन्दगी के संघर्ष में जूझते हुए ये भूल जाता है कि उसने तो बचपन को जिया ही नहीं. ऐसे में हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम को फिनलैंड के सिस्टम से बहुत कुछ सीखने की ज़रुरत है. वहां के बच्चे बचपन को भरपूर जीते हैं. वे अपना स्कूल का समय पेड़ों पर चढ़ते, दोस्तों संग मस्ती करते और मैदानों में खेलते हुए बिताते हैं. आइए जानते हैं कि वहां के एजुकेशन सिस्टम से हम क्या सीख सकते हैं.