सावन का महीना सनातम धर्म में काफ़ी महत्व रखता है. इस पूरे महीने लोग महादेव शिव जी की पूजा करते हैं. इस महीने के साथ कई तरह की कहानियां भी जुड़ी हैं. ग्रंथ और पुराणों में भी इसका वर्णन है.

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एक कथा के अनुसार, ऋषि मुनी म्रिकंद और उनकी पत्नि मरुधमती पुत्र प्राति के लिए शिव की अराधना की. भगवान शिव प्रसन्न हो गए, लेकिन उन्होंने पुत्र देने के साथ एक शर्त भी रख दी और कहा कि उन्हें बुद्धिमान बालक चाहिए या मंदबुद्धि, अगर वो बुद्धिमान बालक चुनते हैं, तो उसकी उम्र बहुत कम होगी और वो कुमार अवस्था में ही मर जाएगा. अगर वो मंदबुद्धि का बालक होगा, तो लम्बी आयु पाएगा.

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पती-पत्नि बुद्धिमान बालक को चुनते हैं और जैसे ही वो थोड़ा बड़ा होता है उसे इस श्राप के बारे में बताते हैं. वो बच्चा इस श्राप से मुक्त होने के लिए घोर तपस्या करता है. इस दौरान कई यम दूत उसे अपने साथ लेने आते हैं, लेकिन उसकी तपस्या के प्रताप से कोई भी उसे छू नहीं पाता. अंत में हार के खुद उसकी आत्मा को लेने यमराज प्रकट होते हैं. यमराज अपने फ़ंदे से जैसे ही उस बालक को पकड़ना चाहते हैं, गलती से वो फ़ंदा शिवलिंग पर गिर जाता है. इससे शिव काफ़ी क्रोधित होते हैं और यमराज को वहां से चले जाने का आदेश देते हैं.

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उस बालक की तपस्या पूरे एक महीने चलती है और इसी महीने को आगे चल कर सावन का महीना कहा जाता है. ये बालक असीम बुद्धि का स्वामी बनता है. जिसे आज लोग मारकांद्य ऋषि के नाम से जानते हैं.

इस महीने में अगर सच्चे दिल से भगवान शिव की अराधना की जाए, तो जो भी मांगो भगवान वो देते हैं.

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लेकिन भगवान शिव को खुश करने के लिए इस महीने में कुछ चीज़ों का त्याग भी ज़रूरी है. सिर्फ़ मांस और शराब का ही नहीं, बल्कि इस महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए. इसका कारण धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक भी है. बरसात के महीने में बैंगन में कीड़े लग जाते हैं, जो कई बार दिखाई नहीं देते और हमारे शरीर को काफ़ी नुकसान पहुंचाते हैं.

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वहीं दूसरी चीज़ है हरी सब्ज़ियां. बरसात के महीने में इन सब्ज़ियों में भी कीड़े लगे होते हैं और उन्हें बी खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है.

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सबसे ज़्यादा दूरी हमें दूध और उससे बने पदार्थों से रखनी चाहिए. इसका कारण भी धार्मिक से ज़्यादा वैज्ञानिक है. इस मौसम में हरी सब्ज़ियां ही ज़्यादातर दूध देने वाले जानवर खाते हैं, ऐसे में खराब और कीड़े लगी सब्ज़ियां खाने से उनका दूध भी ख़राब बनता है और इसे पीने से भी हम काफ़ी बीमार हो सकते हैं.

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इन सब के त्याग से आपका शरीर स्वस्थ रहता है और आप भगवान शिव की तरफ़ बेहतर ध्यान लगा सकते हैं. इस लिए इन सब चीज़ों से दूरी बनाना ज़रूरी होता है.