‘ये सब तेरे यार-दोस्तों के कारण हुआ है.’
बुरे नंबर आने पर मां या पापा के तेज़-तर्रार वचन आपने सुने ही होंगे.
‘तुम्हारे दोस्त मुझे बिल्कुल पसंद नहीं, या तो वो रहेंगे या मैं.’
बॉयफ़्रेंड/गर्लफ़्रेंड से भी ऐसा कुछ सुनने मिला होगा.
ऐसी Situation में परिवार के साथ जाएं या दोस्तों के साथ, इस धर्म संकट में कई लोग पड़ जाते हैं.
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बढ़ती उम्र के साथ हमारी ज़िन्दगी में दोस्तों की एहमियत बढ़ने लगती है. मां-पापा, भाई-बहन तो रहते हैं लेकिन दोस्तों और दोस्ती बढ़ जाती है.
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ये बात साबित हो गई है एक रिसर्च में. Time के अनुसार, Personal Relationships में छपे शोध में पता चला है कि बढ़ती उम्र के साथ अच्छे स्वास्थ्य और ख़ुश रहने के लिए दोस्ती ज़रूरी हो जाती है. बुढ़ापे में परिवारवालों से ज़्यादा दोस्त ही अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हैं.
100 से ज़्यादा देशों के 2,70,000 लोगों पर किए गए शोध में Personal Relationships के लेखक William Chopik ने ये पाया कि दोस्त और परिवार, ख़ुशहाली के लिए ज़रूरी हैं लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ख़ुश रहने के लिए दोस्त ज़्यादा ज़रूरी हैं.
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शोध में लेखक ने अमेरिका के 7500 बुज़ुर्गो को भी शामिल किया था.
शोध में ऐसे लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे, जिन लोगों ने ये कहा कि उन्हें दोस्तों की वजह से स्ट्रेस होता है.
वहीं जो लोग परिवार और बच्चों की वजह से तनावग्रसित थे, दोस्तों का साथ पाकर उन्हें ख़ुशी मिली.
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आप अपना परिवार नहीं चुन सकते, लेकिन दोस्त चुन सकते हैं. देख, संभलकर ऐसे दोस्त बनाइए जो आखिर तक आपके साथ रहें.
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