पॉर्न या सेक्स वीडियो देखने को लेकर भी लोग अभी इतने सहज नहीं हुए हैं कि इसके बारे में खुल कर बात कर सकें. लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में लोग सेक्स को लेकर इतने खुले हुए हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर खुले में सेक्स करने से भी उन्हें परहेज़ नहीं रहा है.
आज हम आपको एक ऐसी अजीबोग़रीब वेबसाइट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो है तो एक पॉर्न साइट, लेकिन इसका मकसद मनोरंजन नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण है. Fuck for Forest (FFF) एक गैर-लाभकारी पर्यावरण संगठन है, जिसे 2004 में Leona Johansson और Tommy Hol Ellingsen ने नॉर्वे में शुरू किया था.
इसके फ़ंड एक वेबसाइट से आते हैं, जो सेक्स वीडियो और फ़ोटोज़ से भरी पड़ी है. इन्हें देखने के लिए आपको मेम्बरशिप लेनी होगी, जिसके लिए एक फ़ी चुकानी होती है. इस फ़ी का बड़ा हिस्सा वर्षावनों के संरक्षण में इस्तेमाल होता है.
कहा जा सकता है कि ये दुनिया की पहली इको-पॉर्न साइट है. ये ऐसी इकलौती पॉर्न साइट है, जो किसी नेक काम के लिए पैसे जमा करने का दावा करती है. अब ये ग्रुप Oslo, Norway से Berlin, Germany जा चुका है. सार्वजनिक स्थलों पर सेक्स करने के लिए उनके खिलाफ़ मामले भी दर्ज किये जा चुके हैं.
इस वेबसाइट के Subscribers को हर महीने लगभग 1300 रुपये देने होते हैं. इनका 80 प्रतिशत उन चैरिटियों को जाता है, जो वर्षावन संरक्षण के लिए काम करती हैं.
इस वेबसाइट पर जो वीडियो हैं, उन्हें प्राकृतिक परिवेश में शूट किया जाता है. पेरू, ब्राज़ील और अन्य देशों के वर्षावनों को बचाने के लिए इससे मिलने वाला पैसा डोनेट कर दिया जाता है.
ये आन्दोलन तब से ज़्यादा फ़ेमस हो गया है, जब से इसके बारे में ‘Fuck For Forest’ नाम की Documentary बनायी गयी है. Michael Marczak ने इस फ़िल्म को बनया था. इनके पब्लिक सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद से, इन्हें मिलने वाली डोनेशन और बढ़ गयी है.
इसे 2012 में रिलीज़ किया गया था. पर्यावरणीय परियोजनाओं के चारों ओर घूमती ये फ़िल्म कामुकता, समकालीन जीवन शैली, पश्चिमी नैतिकता और मानव धारणा जैसे विषयों को भी छूती है.
अगर आपको इसके बारे में सुन कर अटपटा लग रहा है, तो हम आपको बता दें कि सार्वजनिक स्थलों पर सेक्स करने में न झिझकने वाले लोग केवल पश्चिम में ही नहीं हैं, बल्कि भारत में भी हैं. एक लड़की ने ‘Arre’ नाम की साइट पर इसी तरह से पर्यावरण संरक्षण के लिए पैसे जमा करने की अपनी योजना के बारे में बताया है.
भले ही ये आपको सुनने में अटपटा लगे, लेकिन कई लोग हैं, जिनके लिए इस तरह के तरीके आज़माना कोई बड़ी बात नहीं होती.