चाय की दुकान से ले कर फ़ेसबुक तक, आज हर जगह ज्ञान देने वालों का जमावड़ा है. एक बार आप सिर्फ़ अपने विचार साझा कीजिये, लोग आपको ज्ञान देने लग जायेंगे. हालांकि इस ज्ञान के पीछे क्या तर्क है, ये तो उसे समझाने वाला ही समझ सकता है. ऐसे ही कुछ ज्ञान देने वाले लोग मायरा (बदला हुआ नाम) को भी मिले, जब उन्होंने कई सालों तक दोस्त रहे एक लड़के से शादी की. शादी के बाद मायरा ने अपने नाम के साथ पति का सरनेम भी लगा लिया.

पर मुस्लिम लड़की का किसी हिन्दू लड़के से शादी करना कुछ लोगों को पसन्द नहीं आया. वो लगातार मायरा को मज़हब का हवाला देते हुए ज्ञान देने लगे. हालांकि अपने इस फ़ैसले पर मायरा मज़बूती के खड़ी दिखाई दी और पूरी मर्यादा के साथ उन्हें जवाब भी देती हुई नज़र आई.

ख़ैर, ये तो मायरा थी, जो पढ़ी-लिखी होने के साथ ही अपने लिए अच्छे-बुरे की पहचान कर सकती हैं. पर आज भी हिंदुस्तान में ऐसी ही न जाने कितनी लड़कियां हैं, जो इन ज्ञान देने वाले लोगों की वजह से एक दायरे में बंध कर रह जाती हैं और अपने सपनों को मार देती हैं.