भारत की संस्कृति में प्रकृति का बहुत बड़ा महत्व रहा है. सिर्फ़ पूजा में ही नहीं, बल्कि हमने अपने जीवन में भी प्रकृति को काफ़ी बड़ा स्थान दिया है. आज भी पूज्यनीय स्थान पर मिलने वाला प्रसाद पत्ते की बनी कटोरियों में दिया जाता है. आज भी लोग रुक कर दोने में गोलगप्पे खाना पसंद करते हैं.

लेकिन धीरे-धीरे इन चीज़ों की जगह प्लास्टिक ने ले ली. सस्ती होने के कारण लोगों ने प्लास्टिक को बढ़ावा दिया और उसको अपना लिया. लोगों ने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि प्लास्टिक हमारी प्रकृति और जीवन को कितना नुकसान पहुंचा सकती है.

लेकिन जिन चीजों को हमारे देश ने छोड़ दिया है, दूसरे देश उसे अपनी लाइफ़ में जोड़ रहे हैं. प्लास्टिक और आर्टिफ़िशयल क्रॉकरी के बजाय दूसरे देश के लोगों ने पत्तों से बनी प्लेट और कटोरियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

जर्मनी में कुछ युवाओं ने Leaf Republic नाम से एक कंपनी खोली है. ये कंपनी पत्तल और दोने बना रही है. इनकी कंपनी बड़ी तेजी से जर्मनी के लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है. इन युवाओं के ग्रुप में कई इंजीनियर्स हैं, जो इसकी उपयोगिता और डिज़ाइन्स पर लगातार काम कर रहे हैं.

इन युवाओं ने बताया कि उन्हें प्रकृति से बहुत प्यार है और इस कंपनी के ज़रिए वो प्रकृति से जुड़े रह सकते हैं. साथ ही इससे काफ़ी लोगों को रोजगार भी मिलता है. इन पत्तलों की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि इसे बड़ी आसानी से खत्म किया जा सकता है और इससे धरती को और अधिक उपजाऊ भी बनाया जा सकता है.

Source: Leaf Republic

जर्मनी के इन युवाओं से हमें भी कुछ सीखना चाहिए. हमने जिस प्लास्टिक को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया है, वो धीरे-धीरे हमारी धरती को ही खा रहा है. जिसे समझना हमारे लिए काफ़ी ज़रुरी है.

Image Source: Leaf Republic