किसी ने सच कहा है कि ‘जहां चाह है, वहां राह है’, और इस बात को सच साबित कर दिखाया है कर्नाटक में रहने वाली एक 12 साल की लड़की ने. ये तो आपको पता ही होगा कि हाल के दिनों में, बेंगलुरु की झीलों ने अखबारों और प्राइमटाइम न्यूज़ की सुर्खियों पर कब्ज़ा कर रखा है. आये दिन हम इन झीलों की ख़बरें पढ़ते रहते हैं. यहां स्थित एक झील की सफ़ाई के लिए 12 साल की लड़की ने अहम योगदान दिया.

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22 एकड़ में फैली हुई Chunchaghatta झील, जो Sarakki झील और Kothnur झील के साथ मिलती है और इसका ही पानी इन दोनों झीलों में आता है. फिर भी कर्नाटक सरकार ने Chunchaghatta को अनदेखा करते हुए Sarakki झील के पुनरुत्थान के लिए 6 करोड़ रुपये आवंटित किए. ये नगरपालिका के अकुशल अधिकारियों की ही दें है कि अब Chunchaghatta झील की और भी दुर्गति हो गई थी. ये पूरी झील जल कुम्भी के पौधों और आस-पास के रिहायशी इलाकों के कूड़े-कचरे और सीवरेज से भर चुकी थी.

बंगलुरु के Konanakunte Ward, जहां Chunchaghatta झील स्थित है, वहां रहने वाले 195 निवासियों ने फ्रेंड्स ऑफ़ झील – Chunchughatta Kere नामक पहल की शुरुआत कर इसकी जिम्मेदारी अपने हाथों में ली और पूरी झील को साफ़ कर डाला. ये लोग पिछले 10 महीनों से इस झील को साफ़ करने का काम कर रहे हैं. इन लोगों ने ये काम पिछले साल, जून में शुरू किया था. इस काम के लिए इन सभी लोगों ने करीब 30,000 रुपये इकठ्ठा किये.

झील की सफ़ाई से जुड़ी सभी गतिविधियों में 12 वर्षीय रिधि जयप्रकाश हमेशा से खुद से आगे आई हैं और सबके साथ मिलकर इस काम को किया है. पिछले हफ्ते जब इस ग्रुप की एक मीटिंग हुई तो, रिधि ने अपनी मां से पूछा, ‘अम्मा क्या मैं अपने अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों से झेल की सफ़ाई के लिए पैसे इकठ्ठा कर सकती हूं? रिधि की मां ने उसको इस काम की अनुमति दे दी. इसके बाद रिधि ने कलेक्शन ड्राइव की शुरू कर दी. उसने अपना शुरूआती लक्ष्य 5000 रुपये इकट्ठे करने का रखा था, लेकिन उसने 7000 रुपये इकट्ठे कर लिए.

अपने एक मित्र के साथ, रिधि एक फ्लैट से दूसरे में गई और 370 से अधिक फ्लैट्स को कवर किया और कुल 7000 रुपये एकत्र किए. 115 से भी अधिक लोगों ने रिधि की पहल में पूरे दिल से अपना योगदान दिया.

रिधि सभी निवासियों से सबसे पहले गुड मॉर्निंग कहती और फिर बताती, ‘हम फ्रेंड ऑफ़ झील से हैं हम पिछले 10 महीनों से Chunchaghatta झील की सफ़ाई कर रहे हैं. हम धन इकट्ठा करने और वालंटियर्स को आमंत्रित करने आए हैं. इस सफ़ाई कार्य में बेंचों, स्ट्रीट लाइट, लाल मिट्टी और कचरे के डिब्बे लगाने और कचरे को साफ़ करने जैसे कार्य शामिल हैं. इस तरह से हम झीलों को स्वच्छ और सुन्दर बना पाएंगे.’

इस काम में उसको कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा:

– बहुत से लोगों को तोये तक नहीं पता था कि इस नाम की कोई झील भी है.

– बहुत से लोगों ने उससे ऐसे सवाल पूछे, जिन्होंने उसको डरा दिया, जैसे:

1. तुम पैसे इकट्ठे करने वाली कौन होती हो?

2. यह पैसे किसके पास जायेंगे?

3. आप लोग झील कैसे साफ करेंगे?

4. यह बीबीएमपी (BBMP) का काम है, आप इसके लिए पैसे क्यों इकट्ठा कर रहे हैं?

5. सरकार अपना काम नहीं कर रही है क्योंकि आप लोग इस तरह से धन एकत्र करते हैं.

6. इसका क्या सबूत है कि आप झील के लिए काम कर रहे हैं?

– कुछ लोगों ने उसका डोनेशन बॉक्स देखकर उससे पूछा कि क्या वो 2000, 500 या 100 रुपये का खुला कर देगी?

– कुछ लोगों ने उसके मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया.

– बहुत से लोगों ने कहा कि वो यहां किरायेदार हैं, फ्लैट की मालिक नहीं और उन्हें मालिकों से योगदान देने की अनुमति नहीं मिली.

– बहुत से लोगों ने सोचा कि वो किसी स्कूल से है और स्कूल बच्चों से पैसे इकट्ठा करवा रहा है,

कई लोगों ने अपना सहयोग और रुपये देने के लिए कई तरह के बहाने बनाये, जैसे:

1. हम हाल ही में यहां शिफ्ट हुए है और हमारे पास देने के लिए पैसे नहीं हैं.

2. मैं कल कहीं बाहर जा रहा हूं, अगली बार पैसे दूंगा, इस बार मुश्किल है.

3. मेरे पास ऑफिस का बहुत काम है.

4. मैं संडे को आराम करता हूं क्योंकि थका हुआ होता हूं.

5. मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.

6. क्या आप कल आ सकती हो?

5 दिनों के थकाऊ काम के बाद रिधि के लिए वो बहुत खुशनुमा पल था, जब एक सज्जन व्यक्ति ने उसे 2000 रुपये दिए और कहा, ‘मैं वहां ज़रूर आना चाहूंगा, लेकिन ज़्यादातर मैं सफ़र करता हूं, इसी तरह अच्छा काम करते रहो.’ उस व्यक्ति की उत्साहवर्धक बात सुन कर रिधि बहुत ख़ुश हुई. रिधि केवल 12 साल की है और आठवीं कक्षा में पढ़ती है.

हर शहर, मोहल्ले के लोग अगर इस तरह की सोच रखने लगें, तो देश का हर हिस्सा साफ़ हो जाए और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ सफ़ल हो जाए.