अपने प्रियजनों की मौत से उबर पाना आसान नहीं होता. दुनिया के अलग अलग देशों, कल्चर और क्षेत्रों में ऐसे कई घटनाएं सामने आई हैं जब लोग अपने चाहने वालों की मौत के सदमे से ताउम्र नहीं उबर पाते हैं और या तो वे उम्र भर दुख और डिप्रेशन के साए में अपनी जिंदगी बिता देते हैं, कई लोग महीनों तक मानसिक पीड़ा से गुज़रते हैं और इसमें कोई शक नहीं कि हर इंसान के लिए ये एक ऐसा दौर होता है जब या तो वह इस अवसाद भरे दौरे से बाहर निकलने में कामयाब हो जाता है या जिंदगी भर मानसिक तौर पर परेशान रहता है.

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एलिजाबेथ कुबलेर रॉस ने 1969 में एक किताब के माध्यम से दुख की पांच स्टेज को लोगों को समझाने की कोशिश की थी. एलिजाबेथ के अनुसार, अपने चाहने वाले की मौत का सामना करने के लिए ये पांच स्टेज ऐसी हैं जिसका सामना ज्यादातर लोगों को करना पड़ता है. हालांकि ये भी सच है कि हर इंसान एक दूसरे से एकदम अलग होता है और अलग-अलग लोगों की दुख को बर्दाशत करने की प्रक्रिया अलग हो सकती है, ऐसे में हर किसी से एक ही तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की जा सकती. लेकिन आमतौर पर अपनों से बिछड़ने के अवसाद को इंसान को इन पांच अवस्थाओं द्वारा समझा जा सकता है.

1. हालातों से मुंह मोड़ना

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सबसे पहली स्टेज होती है वास्तविकता से दूर भागना. लोगों के लिए ये विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल होता है कि आखिर ये उनके साथ कैसे हो सकता है. “अभी तक तो सब कुछ ठीक था फिर अचानक ऐसा कैसे हो गया”. “ये सच नहीं है”, “ऐसा कैसे हो सकता है” ऐसे ही कई ख्याल लोगों के मन मस्तिष्क में मंडराने लगते हैं. दरअसल भावनाओं का ज्वार आपके दिमाग को कुछ देर के लिए तर्क-वितर्क से दूर ले जाता है. आप तथ्यों और सच्चाई से दूर भागना चाहते हैं. आमतौर पर अपनों से बिछड़ने की ये पहली स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है.

2. गुस्सा

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समय के साथ साथ और धीरे-धीरे जब ये बात आपके दिमाग में घर करने लगती है कि जिसे आप दिलों जान से चाहते हैं वो अब आपके साथ नहीं है तो आप एक अजीब किस्म की निराशा से भर उठते हैं. सच्चाई और उसके दर्द से आपका सामना होने लगता है. आप इस झटके के लिए तैयार नहीं थे. “आखिर ये आपके साथ ही क्यों हो रहा है” और ऐसे ही तमाम ख्यालात आपके दिमाग में हावी होने लगते हैं जिससे आपको गुस्सा आने लगता है. अंजान लोगों से लेकर, परिवार के बाकी सदस्यों और कई बार निर्जीव वस्तुओं पर आप अपना ये गुस्सा निकालने लगते हैं. भावनात्मक तौर पर हम उस इंसान से ही गुस्सा होने लगते हैं जो आपको छोड़ कर चला गया है. हालांकि ये जानना जरूरी है कि दुख से पार पाना एक बेहद पर्सनल प्रोसेस है और अलग अलग लोगों को इसमें अलग अलग समय लग सकता है. इसलिए इस स्टेज में धैर्य बनाए रखना बेहद जरूरी है.

3. भावनाओं का मोल-भाव

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इसके बाद एक स्टेज ऐसा आता है जहां आप गुस्सा और असहाय महसूस करते हुए थक जाते हैं और लोगों की मदद लेना चाहते हैं. अगर आपके परिवार का कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार है और जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है तो आप एकाएक भगवान के प्रति श्रदालु हो जाते है और उनसे प्रार्थना में जुट सकते हैं और अगर आप नास्तिक है तो Spirituality में आपका विश्वास एकाएक बढ़ जाता है. ये वो समय होता है जहां आपको चीजें बेहतर होने की कुछ धुंधली उम्मीद नजर आती है, जहां आपको लगता है कि परिस्थितियां ठीक हो सकती हैं. फिर वो चाहे भगवान के सहारे या आध्यात्म के सहारे ही क्यों न हो.

4. डिप्रेशन

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ये स्टेज सबसे खतरनाक हो सकती है. इस स्टेज से पार पाना लोगों के लिए काफी मुश्किल हो सकता है. आप अंदर ही अंदर घुट सकते हैं और इस स्टेज में डॉक्टर को दिखाना लाभप्रद हो सकता है. आप अपनों के जाने पर दुखी तो होते ही हैं लेकिन अपने घर वालों को समय न देने की परेशानी  भी आपको अवसाद से घेर सकती है. कई बार आप  अपने गुज़र गए प्रियजन को मानसिक तौर पर अलविदा कहने की तैयारी में जुट जाते हैं. ऐसे समय में आपको दोस्तों या परिवार वालों का साथ काफी काम आ सकता है. डिप्रेशन बढ़ने पर साइकोलॉजिस्ट से मदद लेने में गुरेज़ न करें.    

5. सच्चाई स्वीकार करना

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यह एक ऐसी स्टेज होती है जिस तक सभी लोग नहीं पहुंच पाते है. मौत एक शाश्वत सत्य है और यह कभी भी आ सकती है और इस अचानक शॉक से उबरना लोगों के लिए आसान नहीं होता. लेकिन अगर डिप्रेशन और गुस्से की स्टेज से आप पार पा लेते हैं तो फिर चीजें आपके लिए थोड़ी आसान हो जाती है. समय के साथ-साथ आप अपनी जिंदगी में नॉर्मल होने लगते हैं.  इस स्टेज में जरूरी होता है कि आप अपने आप को व्यस्त रखें, लोगों से बातचीत करें, बेहतर खाना और हो सके तो एक्सरसाइज करें ताकि आपके दिमाग से सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो. आपको ये ध्यान रखना जरूरी हैं कि आपके चाहने वाले भी यही चाहते थे कि आप जिंदगी में बेहतर करें और एक स्वस्थ जिंदगी जिएं. इस स्टेज में आप अपनी लाइफ बेहतर बनाने का प्रण कर लेते हैं तो आपके लिए अपने प्रियजन की मौत से उबरना काफी आसान हो जाता है