राहुल सिंह ने (बदला हुआ नाम) भारतीय सेना में क्लर्क की नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टियां लीं. लंबी छुट्टी लेकर घर जाने का असल मतलब घर से दूर रहने वाले ही समझ सकते हैं. राहुल ने भी यही सोचा होगा कि घर जाकर वो कुछ दिन आराम से बितायेंगे. लेकिन छुट्टी लेना उन्हें बहुत महंगा पड़ गया. जब वे वापस जाने कि लिए टिकट लेने जा रहे थे, तब उन्हें कुछ हथियारबंद लोगों ने अगवा कर लिया. राहुल को अगुवा करनेवालों ने उनसे फ़िरौती की रक़म नहीं मांगी, बल्कि उन्हें एक अज्ञात घर के आंगन में ले जाया गया, जहां शादी का मंडप सजा था और मंडप पर दुल्हन बैठी थी. राहुल के पास कोई दूसरा चारा नहीं था, मजबूरी में उसे उस अज्ञात लड़की से शादी करनी पड़ी. ये घटना है बिहार के सहरसा ज़िले की.
इस तरह की शादी को ‘पकड़वा शादी’ या ‘जबरिया बियाह’ कहते हैं. कभी शिक्षा और गरीबी के मामले में सबसे पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार में पिछले कुछ वर्षों में विकास के नाम पर बहुत से कार्य हुए हैं. महिला शिक्षा के लिए बहुत सी योजनायें चलाई गईं हैं. अब तो बिहार में शराबबंदी भी हो गई है. लेकिन बहुत सारी सामाजिक कुरीतियां अभी भी इस राज्य में आसन जमायें बैठीं हैं. इन्हीं में से एक है पकड़वा शादी.
क्या है पकड़वा शादी?
वर की इच्छा के विरुद्ध उसे अगवा कर, उसके साथ मार-पीट करके, बंदूक की नोक पर उसकी शादी कर देना. कई बार वर को नशीला पदार्थ देकर भी शादी के मंडप में बैठाया जाता है.
क्यों उठाये जाते हैं दूल्हे?
दूल्हों को किडनैप करने के पीछे कई कारण हैं. जैसे, वर पक्ष शादी के लिए राज़ी ना हो और वधू पक्ष को दूल्हा पसंद आ गया हो. वधू पक्ष दहेज बचाना चाहते हों. लड़की में कोई दोष हो और उसकी शादी ना हो रही हो.
अकसर इंजीनियर्स, डॉक्टर्स और ऊंची पोस्ट पर कार्यरत लोग इस तरह की शादी का शिकार होते हैं.
कुछ आंकड़े-
2018 में इस तरह की बात पर यक़ीन करना ज़रा मुश्किल है. आंकड़ों पर नज़र डालें, तो 2013 में 2,529, 2014 में 2,533, 2015 में 3,001 और 2016 में 3,075 पुरुषों की ज़बरदस्ती शादी करवाई गई. 2017 में मार्च तक 830 पुरुषों को किडनैप कर जबरन विवाह बंधन में बांधा गया था.
जानकर हैरानी होगी कि इस तरह की जाने वाली अधिकतर शादियों को पति-पत्नी निभा लेते हैं. अगर कोई शादी को मानने से इंकार कर दे, तो उसे न्यायालय और पुलिस के पचड़ों में फंसा दिया जाता है. कई बार इस तरह की शादियों को पुरुष स्वीकार कर लेते हैं और इसकी रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करवाते.
पकड़वा शादी सबसे ज़्यादा बिहार और यूपी में ही होती है. बाकी राज्यों में इस तरह की घटनाओं का कोई उल्लेख इंटरनेट पर हमें नहीं मिला. कुछ रिपोर्ट्स की मानें, तो इस तरह की शादी भूमिहार जाति में सबसे ज़्यादा होती हैं.
सालों से समाज का हिस्सा बन चुकी इस कुरीति को अंजाम देने के लिए अब कई गैंग्स भी हैं. फिरौती मिलने पर ऐसे लोग किसी को भी उठा लेते हैं. ऐक्स्ट्रा पैसे देने पर ये गैंग्स शादी के टिकने की गैरंटी भी देते हैं.
कुछ सच्ची घटनायें-
1. लखीसराय ज़िले के प्रखंड बड़हिया में रहने वाला सोनू(बदला हुआ नाम) ट्यूशन से लौट रहा था. पास के ज़िले बेगूसराय के नामी डी.ए.वी स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ रहा था सोनू. अपने गांव के पास पहुचंने पर अचानक उसे 3-4 लोगों ने रोक लिया. उसे बताया गया कि उसके चाचा बीमार हैं और पास के गांव चलने को कहा गया. सोनू की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, तो वो उनके साथ चल दिया. कुछ दूर जाने पर उसे ध्यान आया कि उसके चाचा तो शहर से बाहर गए हुए हैं. इसके बाद उसने बुद्धि लगाकर साईकिल वहीं छोड़ उल्टी दिशा में भागना शुरू किया. किसी तरह से उसने अपनी जान बचाई.
घर पहुंचकर उसे पता चला कि उसे भी शादी के लिए उठाया जा रहा था. इसके बाद सोनू अच्छी शिक्षा के लिए राज्य से बाहर ही रहने लगा. आज भी वो घर बहुत ही कम वक़्त के लिए जाता है. सोनू तो बच गया लेकिन सब क़िस्मत वाले नहीं होते.
2. बोकारो स्टील प्लांट में कार्यरत जूनियर मैनेजर विनोद कुमार अपने एक दोस्त की शादी में इस्लामपुर जाने के लिए निकला था. विनोद का कहना है कि जब उसके पिता बीमार थे तो लड़की के घरवाले उसके घर आते-जाते थे, लेकिन उन्होंने कभी शादी का प्रस्ताव नहीं रखा.
प्रभात ख़बर से ही बातचीत में विनोद ने बताया कि लड़की के भाई ने पटना जाने की बात कहकर उन्हें अगुवा कर लिया और अपने गांव ले गये. शादी दिसंबर 2017 की शुरुआत में करवाई गई.
ये ख़बर स्थानीय मीडिया और अख़बार में भी छपी. विनोद ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि पुलिस ने भी उसकी सहायता नहीं की. विनोद की जबरन शादी का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
लड़कीवालों का कहना है कि विनोद ने अपनी मर्ज़ी से शादी की, जबकी विनोद वीडियो में रो रहा है और वीडियो देखकर ही पता चल रहा है कि उसकी जबरन शादी करवाई जा रही है.
विनोद ने भारत सरकार से इंसाफ़ की गुहार लगाई है.
3. कक्षा 12वीं में पढ़ने वाले अजीत (बदला हुआ नाम) के पिता को एक रोज़ किसी अनजान नंबर से फ़ोन आया. फ़ोन करने वाले ने सीधे बातचीत की और कहा कि आप अपना बेटे दे दो वरना हम उसे उठा लेंगे. कलंक से बचने के लिए अजीत के पिता ने उसकी शादी की. इस घटना में लड़के को उठाया नहीं गया, लेकिन शादी जबरन ही हुई.
लड़कियों की राय नहीं रखती मायने
इस तरह की शादियों में शायद ही लड़कियों की राय ली जाती होगी. क्योंकि बहुत कम लड़कियां होंगी, जो इस तरह की शादी के लिए राज़ी होंगी. दबंगई से शादी हो जाती है, मजबूरी में शादी निभा भी ली जाती है, लेकिन प्यार का ऐसे रिश्ते में नाम-ओ-निशान नहीं रहता.
2010 में आई ‘अंतर्द्वंद’ इस सामाजिक कुरीति पर रौशनी डालती है.
पुलिस के आंकड़ों और घटनाओं से ये साफ़ है कि बिहार के बहुत से बाशिंदों को किसी को अगवा कर जबरन शादी के बंधन में बांधना ग़लत नहीं लगता. बीतते वक़्त के साथ ऐसी घटनाओं में इज़ाफ़ा ही हुआ है. सबसे ज़्यादा दुखद ये है कि इस तरह की शादियों को लेकर कोई क़ानून नहीं है. किसी की भी जबरन शादी करवाने वालों पर IPC की धारा 361, 363(किडनैपिंग) और 319(मारपीट) के तहत ही कार्रवाई होती है. इस तरह की सामाजिक कुरीति को रोकने का एकमात्र उपाय है सख़्त क़ानून. उम्मीद है राज्य और भारत सरकार इस पर सख़्त क़ानून बनायेंगे.