बचपन में घर में एक काला रेडियो बजता था. शेव करने के वक़्त पापा उसे चला देते थे और जब तक वो कॉलेज नहीं जाते थे, तब तक वो चलता रहता था. कुछ आदत सी हो गयी थी उस रेडियो की. सब तरह के गाने बजते थे, लेकिन उनमें से कुछ मुझे ज़्यादा पसंद आते थे. जब कभी परिवार के, स्कूल के फंक्शन्स में गाने के लिए ज़ोर दिया जाता, तो उन्हीं गानों में से कुछ सुना देती. धीरे-धीरे जानने की कोशिश की, कि किसने लिखे वो गाने. और लीजिये, ज़्यादातर हर वो गाना जो ज़ुबां पर होता, गुलज़ार साहब के कलम से निकला होता. ये बात सच है कि गुलज़ार साहब को परिचय की ज़रुरत नहीं, और उनके जैसा कोई है ही नहीं!

गुलज़ार साहब बचपन से ले कर अब तक मेरे साथ हैं!

कभी खेलते थे मेरे साथ, कभी खाली बैठने पर मन लगाए रहते थे, कभी प्यार से समझाते थे, कभी निराशा से उबारते थे, कभी हंसते, थे, कभी रुलाते थे, कभी प्यार का मतलब समझाते थे, कभी नचाते थे. हर पल के लिए उन्होंने शब्द दिए, Expressions दिए. अगर ये कहें, कि उन्होंने भी बड़ा योगदान निभाया है मेरी ज़िन्दगी में, तो ये गलत नहीं होगा! आइये, समझाती हूं कैसे.

स्कूल में प्रार्थना: हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें, दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें 

https://www.youtube.com/watch?v=NbchuCfqBls

अपनी बहन के साथ खेल-खेल में: लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा

https://www.youtube.com/watch?v=chXKA41cec4

बदमाशी के मूड में: आ आ ई ई आ आ ई ई मास्टरजी की आ गयी चिट्ठी

हर संडे को TV के सामने: चड्डी पहन के फूल खिला है

https://www.youtube.com/watch?v=adJtk4BA2bk

कुछ पुरानी चीट्ठियों को याद कर के: मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है

जब नौकरी की तलाश में घर छोड़ा था: छोड़ आये हम ये गलियां

https://www.youtube.com/watch?v=Y7JRWs9dvVo

जब कुछ बदलाव की ज़रूरत थी, लेकिन चलते जाना था: मुसाफ़िर हूं यारों

मस्त Teenage Days में: आजकल पांव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

https://www.youtube.com/watch?v=MqCzyGLxQeQ

सच्चे प्यार के लिए: आपकी आंखों में कुछ महके हुए से ख़्वाब हैं

https://www.youtube.com/watch?v=NbqCWwlNKrA

जब पापा-मम्मी मेरे पसंद के लड़के से शादी के लिए तैयार नहीं थे, और हां, इसी सुन के मैं रोज़ रोती भी थी. लगता था, जैसे मैं ही उस पुल पर खड़ी थी: कच्चे रंग उतर जाने दो, मौसम है बदल जाने दो

अपनी मर्ज़ी से और पापा-मम्मी के आशीर्वाद से शादी होने के बाद: तुम आ गए हो नूर आ गया है

शादी के बाद, हम दो: दो दीवाने शहर में

मां बनने के बाद: तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी

https://www.youtube.com/watch?v=M64QdDmTM3Q

अब अगर किसी को बार-बार देखने का मन करे: दिल तो बच्चा है जी

https://www.youtube.com/watch?v=DY35pXH9qfo

पार्टी में जब ज़ोर से नाचने का मन करे: बीड़ी जलाई ले

अब: दिल ढूंढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन

https://www.youtube.com/watch?v=M8s4Mb1sgN0

Thank You गुलज़ार साहब, मेरे साथ रहने के लिए! लिखते रहिये, और ऐसे ही हमारी ज़िन्दगी छूते रहिये! 

Source: youtube.com                                                                                                                Feature Image Source: santabanta