कुछ दिनों पहले अमेरिका में लास वेगास के एक कॉन्सर्ट में हुई गोलीबारी में कम से कम 58 लोग मारे गए और 500 से ज़्यादा लोगों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. जब कहीं भी गोलीबारी की घटनाएं होती हैं, तो देशों में बन्दूक रखने के क़ानूनों को मज़बूत करने की मांग उठने लगती है, लेकिन ये एक व्यवसाय है, जो चलता रहता है.

इस घटना के बाद हथियार रखने के क़ानूनों पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. हम आपको बता रहे हैं कि UK और ऑस्ट्रेलिया ने इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया था. गौरतलब है कि अब इस तरह की घटनाएं इन देशों में बेहद कम हो गयी हैं.

संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र में बन्दूक रखने के नियम बेहद कड़े हैं. बहुत कम लोगों के पास ही यहां बंदूकें होती हैं.

जब 1996 में 43 वर्षीय Thomas Hamilton ने हैण्डगन से 5-6 साल के 16 बच्चों की और एक शिक्षक की हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली थी. ये घटना Dunblane, स्कॉटलैंड में हुई थी.

इसके बाद लोगों ने हैण्डगन को बैन करने के लिए आवाज़ उठायी, गन कण्ट्रोल नेटवर्क (GCN) बनाया गया. बंदूकों को बैन करने की याचिका पर 750,000 लोगों ने दस्तख़त किये.

उस वक़्त पिस्टल शूटिंग तेज़ी से बढ़ता हुआ खेल था. क़ानून को सख़्त करने के लिए जांच के बाद 28 सुझाव दिए गए. सरकार ने .22 कैलिबर के अलावा सभी हैण्डगन बैन कर दीं. इसके बाद .22 कैलिबर को भी बैन कर दिया गया.

1987 में 27 वर्षीय Michael Ryan ने Hungerford में 16 लोगों की हत्या कर दी थी और फिर अपनी जान ले ली थी. उसके पास एक पिस्तौल, एक ऑटोमैटिक राइफ़ल और एक हैण्ड ग्रेनेड था. इसके बाद ही ज़्यादा शक्तिशाली बंदूकें बैन कर दी गयी थीं.

Dunblane की घटना के बाद 162,000 हैण्डगन सरेंडर की गयी थीं.

तब से वहां गोलीबारी की केवल एक घटना हुई है, 2010 में Whitehaven में Derrick Bird ने 12 लोगों की हत्या कर दी थी.

ऑस्ट्रेलिया

1996 में 28 वर्षीय Martin Bryant ने Tasmania में 35 लोगों की सेमी-ऑटोमैटिक राइफ़ल से गोली मार कर हत्या कर दी थी. अब वो जेल में बिना पेरोल के 35 साल की सज़ा काट रहा है.

उस वक़्त ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या 20 मिलियन से भी कम थी. इससे पहले भी वहां गोलीबारी की कुछ घटनाएं हुई थीं.

सरकार ने लोगों से बंदूकें सरेंडर करने को कहा और उसके बदले उन्हें मुआवज़ा दिया. बन्दूक रखने के क़ानूनों में बदलाव किये गए और बन्दूक ख़रीदने के लिए एक लम्बी जांच प्रक्रिया से गुज़रने का प्रावधान किया गया.

इसके बाद से गोलीबारी की घटनाओं में भारी कमी आ गयी है और कोई बड़ी घटना भी नहीं हुई है. इन दोनों देशों ने इस बात को साबित कर दिया है कि लोगों के पास जितने कम हथियार होंगे, ऐसे हादसे भी उतने ही कम होंगे. वक़्त आ गया है कि अन्य देश भी इनसे सीख लें.