गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक थे. उन्हें इस धर्म के पहले धर्मगुरू के रूप में याद किया जाता है. उनका जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था. उनके जन्मदिन को गुरू पर्व या प्रकाशोत्सव के रूप में पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गुरु नानक जी ने अपने अनुयाइयों के साथ कई देशों की यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने धार्मिक एकता और सिख धर्म से जुड़ी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया था. इस तरह पूरी दुनिया को जीवन का नया मार्ग बतलाया था.
आज गुरु पर्व के अवसर पर चलिए जानते हैं, गुरु नानक से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण गुरुद्वारों के बारे में, जिनका सिख धर्म में ख़ास महत्व है.
1. गुरुद्वारा हाट साहिब
ये गुरुद्वारा कपूरथला में है. कहते हैं कि यहीं पर गुरु नानक जी को ‘तेरा’ शब्द के ज़रिये अपनी मंज़िल का आभास हुआ था. यहां पर उन्होंने सुल्तानपुर के नवाब के यहां पर नौकरी की थी. ये नौकरी नानक जी को उनके बहनोई जयराम की मदद से मिली थी.
2. गुरुद्वारा गुरुबाग
ये गुरुद्वारा भी कपूरथला में ही है. कहा जाता है कि गुरु नानक जी यहीं पर रहते थे. उनके दो बेटों बाबा श्रीचंद और बाबा लक्ष्मीदास का जन्म इसी घर में हुआ था. इसे बाद में एक गुरुद्वारे में बदल दिया गया था.
3. गुरुद्वारा कोठी साहिब
ये पहले एक जेल हुआ करती थी, जहां पर गुरु नानक जी को खाते में हेरा-फेरी के ग़लत आरोप में रखा गया था. नवाब दौलतखान लोधी को जब अपनी ग़लती का एहसास हुआ, तो उन्होंने गुरु नानक जी से माफ़ी भी मांगी थी. साथ ही उन्हें सुल्तानपुर का प्रधानमंत्री बनने की पेशकश की थी, जिसे गुरु नानक जी ने ठुकरा दिया था.
4. गुरुद्वारा बेर साहिब
कपूरथला के इस गुरुद्वारे में ही गुरु नानक जी को ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था. कहते हैं कि एक बार गुरु नानक अपने शिष्य मर्दाना के साथ वैन नदी के किनारे बैठे थे. उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और तीन दिनों तक वापस नहीं आए. तब सभी लोगों ने उन्हें मृत मान लिया था. मगर तीसरे दिन वो वापस आए और लोगों को एक ओंकार सतनाम का संदेश दिया.
5. गुरुद्वारा कंध साहिब
ये गुरुद्वारा पंजाब के गुरदासपुर ज़िले में स्थित है. यहां पर गुरु नानक जी का विवाह बीबी सुलक्षणा से हुआ था. हर साल जेष्ठ माह की 24 तारीख़ को यहां उनके विवाह की वर्षगांठ बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है.
6. गुरुद्वारा अचल साहिब
ये उन जगहों में से एक है जहां पर गुरु नानक जी अपनी धार्मिक यात्राओं के दौरान रुके थे. ये गुरदासपुर में बना है. यहीं पर नानक जी और नाथपंथियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ धर्म पर वाद-विवाद हुआ था. नानक जी ने उनको बताया था कि ईश्वर तक पहुंचने का एक मात्रा रास्ता प्रेम है.
7. गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक
अपनी धार्मिक यात्रा करने के बाद गुरु नानक जी ने यहीं पर अपना डेरा जमाया था. रावी नदी के किनारे बने इस गुरुद्वारे में नानक जी क़रीब 12 साल तक रहे थे. गुरदासपुर के इस गुरुद्वारे में उनके द्वारा मक्का से लाए गए वस्त्र रखे हुए हैं
8. गुरुद्वारा करतारपुर साहिब
ये गुरुद्वारा पाकिस्तान में है. कहते हैं कि यहीं पर गुरु नानक जी पंच तत्व में विलीन हुए थे. इसी गुरुद्वारे से लंगर खिलाने की परंपरा शुरू हुई थी.
गुरु नानक जी से जुड़े इन गुरुद्वारों के बारे में पहले जानते थे आप?
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