बनारस को संसार के सबसे पुराने नगरों में माना जाता है. शिव की काशी में लोग शांति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं. कोई इसे ‘मंदिरों का शहर’ बुलाता है तो कोई ‘भारत की धार्मिक राजधानी’. 

सही मायनों में ये शहर धर्म से नहीं बल्कि उत्सव से चलता है. यही वजह है कि यहां मौत का भी उत्सव मनाया जाता है. वाराणसी हमेशा से अपनी अद्भुत वास्तुकला और संस्कृति के कारण फ़ोटोग्राफ़रों का पसंदीदा शहर रहा है.

ऐसे में हम आपके लिए इस आध्यात्मिक नगरी की बेहद दुर्लभ तस्वीरें लेकर आए हैं, जो आज से बहुत साल पहले खींची गई थीं.

1. काशी नरेश का शाही हाथी

बनारस (वाराणसी) के राजा ने काफ़ी आलीशान ज़िंदगी जीते थे. आज भी सबूत के तौर पर उनका किला मौजूद है. इस तस्वीर में उनके शाही बेड़े में एक हाथी नज़र आ रहा है. हाथी के ऊपर देखा जा सकने वाला ‘हावड़ा’ अभी भी रामनगर किले में म्यूज़ियम में देखा जा सकता है.

2. राजघाट का पोंटून पुल

वाराणसी के सभी घाटों से जो पुल आज दिखाई देता है, उसे 1887 में बनाया गया था. इससे पहले नावों का एक पुल का इस्तेमाल होता था. इस तस्वीर को आलमगीर मस्जिद के गुंबद से क्लिक किया गया था. 

3. ज्ञान का कुंआ

ज्ञानवापी कुएं को ज्ञान के कुंए के रूप में भी जाना जाता है, जो वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर स्थित है. ये एक बेहद पवित्र और भारी सुरक्षा वाला स्थान है और केवल हिंदुओं को ही इसके आसपास रहने की अनुमति है.

4. आलमगीर मस्जिद की मीनारें

आलमगीर मस्जिद पंचगंगा घाट के विशिष्टताओं में से एक है और दूर से ही दिखाई पड़ती है. इसमें दो गगनचुंबी मीनारें भी हुआ करती थीं. एक मीनार गिरने से कई लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दूसरी की सुरक्षा कारणों के चलते सरकार द्वारा हटा दिया गया था. 

5. दुर्गा कुंड और मंदिर

 दुर्गा मंदिर का प्रसिद्ध दुर्गा कुंड हमेशा से बैरिकेटड नहीं था. पहले यहां लोग सर्दियों में सीढ़ियों पर बैठकर धूप सेका करते थे. उस वक़्त इस घाट का नज़ारा ही अलग हुआ करता था.  

6. ललिता घाट और सेलबोट्स

 यह उस वक़्त की बात है, जब लोग जलमार्ग से आया-जाता करते थे. गंगा के चारों ओर सैकड़ों नांव दिखाई पड़ती थी, जिसका नज़ारा बेहद अद्भुत था.  

7.  मान सिंह घाट

1890 में क्लिक किया गया ये फ़्रेम बताता है कि एक सदी के भीतर घाटों का परिदृश्य कैसे बदल गया है. मान मंदिर (दायीं ओर) आज भी बेहतर स्थिति में है और बाईं ओर की ख़ाली जगह को राजेंद्र प्रसाद घाट में बदल दिया गया है.

8. मणिकर्णिका घाट का श्मशान ग्राउंड

इस तस्वीर से समझा जा सकता है कि आज श्मशान घाट कितना बदल चुका है. मणिकर्णिका घाट पर आज पक्की ज़मीन और आसपास ढेर सारी दुकानें हैं. सीढ़ियां भी अच्छे से बन गई हैं. 

9. सिंधिया घाट पर हाथ से रंगी नावें

इस तस्वीर में हाथ से पेंट की गईं ख़ूबसूरत नावें देखीं जा सकती हैं. ये उस वक़्त के रहीस लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती थीं.  

10. कीलों के बिस्तर पर लेटा साधु

ये आज सर्कस जैसा लग सकता है लेकिन वाराणसी के घाटों पर ये एक आम दृश्य था. पहले साधु ऐसे ही तरीकों से यात्रियों को आकर्षित किया करते थे. हालांकि, बाद में पाया गया कि कीलों वाला इस तरह का बिस्तर वाकई में पीठ दर्द से परेशान लोगों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है. 

11. सपेरों की टोली

इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि पश्मिची देशों के लोग हमें सपेरों का देश क्यों कहा करते थे. आज भी शिवरात्रि वगैरह के अवसर पर हमें सड़कों पर सपेरों की टोली दिख जाती है.

12. 19 वीं शताब्दी की क्लास

19 वीं शताब्दी में स्कूलों की शक्ल कुछ ऐसी हुआ करती थी. तब शिक्षक का दर्जा महज़ कहने के लिए ऊपर नहीं था, बल्कि वो बच्चों से ऊपर बैठा भी करते थे.

13. रत्नेश्वर महादेव, एक तरफ़ झुका हुआ मंदिर

ये तस्वीर 19 वीं शताब्दी में खींची गई थी. मंदिर की संरचना लगातार एक दिशा में झुक रही है, जो प्रशासन के लिए चिंता की बात होनी चाहिए. हालांकि, इसके लिए कोई ख़ास क़दम नहीं उठाया गया है. ध्यान से देखें तो आप तस्वीर में रत्नेश्वर मंदिर के अंदर शिवलिंग की पूजा कर रहे लोगों को भी नोटिस कर सकते हैं.

14. सारनाथ की खुदाई

ये तस्वीर 1905 में सारनाथ में खुदाई के प्रारंभिक चरण में क्लिक की गई थी. इसमें अशोक स्तंभ के कुछ हिस्सों को देखा जा सकता है.

15. घाट पर मगरमच्छ

ऐसा लगता है कि गंगा में अपने पैरों को भिगोना वास्तव में 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में एक बढ़िया आइडिया नहीं रहा होगा. हालांकि, प्रदूषित नदी को देखते हुए आज भी ये उतना उम्दा विचार तो नहीं है, हां पर आज पैर गंवाने के ख़तरा नहीं है.

तो कैसे लगीं ये दुर्लभ और शानदार तस्वीरें? कमंट बॉक्स में बताएं.

Source: Varanasiguru