भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि ‘अगर आपको ग़रीबी से ऊपर उठना है तो शिक्षा ही एकमात्र ज़रिया है’. कलाम साहब ने ठीक ही कहा क्योंकि शिक्षा ही है, जो हमें ग़रीबी से मुक्ति दिला सकती है.

आज महान साइंटिस्ट कलाम के इन्हीं शब्दों से प्रेरणा लेते हुए कुछ रियल हीरोज़ ने भी देश में शिक्षा की क्रांति फैलाने के लिए कमर कस ली है. इन हीरोज़ ने वक़्त और ख़ुद के सपनों की परवाह किये बिना दूसरों के सपनों को पूरा करने मुहिम शुरू की है.

ये हैं वो 13 रियल हीरो, जो ग़रीबों को फ़्री में पढ़कर उन्हें समाज में बराबरी का हक़ दिलाने का काम कर रहे हैं-
1- शादाब हसन

MBA ग्रैजुएट शादाब हसन ने कॉर्पोरेट करियर चुनने के बजाए Underprivileged बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. बीआईटी मिसरा के पूर्व छात्र रहे शादाब ने रांची से 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव ब्राम्बे में ‘हामिद हसन हाई स्कूल’ की स्थापना की है. इसके लिए शादाब और उनकी मां रोशन आरा ने आसपास के गांवों से 80 बच्चों को इकट्ठा उन्हें अच्छी शिक्षा दे रहे हैं.
2- डॉक्टर भारत सरन

डॉ. भारत सरन राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में डॉक्टर बनने की ख़्वाहिश रखने वाले ग़रीब छात्रों को मुफ़्त में कोचिंग देते हैं. आनंद कुमार के ‘सुपर 30′ से प्रेरित होकर डॉ. भारत ने भी ’50 ग्रामीण सेवा संस्थान’ नाम से एक कोचिंग संस्थान की शुरुआत की है. भारत 11वीं और 12वीं कक्षा के 25-25 छात्रों को मुफ़्त में मेडिकल की कोचिंग दे रहे हैं.
3- श्याम प्रसाद

BSNL के पूर्व कर्मी श्याम प्रसाद दिल्ली के फ़ुटपाथों पर छोटे बच्चों को पढ़ाने का नेक काम कर रहे हैं. श्याम प्रसाद एक बार मंदिर जा रहे थे तभी कुछ बच्चे उन्हें भीख मांगते नज़र आये. बच्चों का भीख मांगना उन्हें अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने उन बच्चों को फ़्री में पढ़ाने का निर्णय कर लिया.
4- नारायण स्वामी

नारायण स्वामी जब युवा थे वो MBBS करना चाहते थे, लेकिन उस समय उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. जिस कारण वो अपने सपने को पूरा नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने अपने हिस्से की ज़मीन बेचकर साल 1990 में 5 छात्रों के साथ एक स्कूल की शुरुआत की थी. आज उनके इस स्कूल में कुल 300 छात्र और 12 टीचर हैं.
5- हैमंती सेन

22 साल की हैमंती ने मुंबई के कांदिवली स्टेशन के एक स्काई वॉक को ही स्कूल में तब्दील कर दिया है, जहां वो भीख मांगने वालों के बच्चों को फ़्री में पढ़ाती हैं. हैमंती ने साल 2018 में इस इलाके के ग़रीब बच्चों को पढ़ने का ज़िम्मा उठाया था.
6- एस. अमुधा शांति

अमुधा शांति ने साल 2005 में मदुरई में ‘Thiyagam Women’s Trust’ की स्थापना की थी. इस ट्रस्ट के माध्यम से वो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को फ़्री में शिक्षा दे रही हैं.
7- नीतू सिंह

दिल्ली की नीतू सिंह भी एक समय में भीख मांगकर अपना गुजर बसर किया करती थीं. आज वो स्लम में रह रहे 30 ग़रीब बच्चों की ज़िंदगी बदलने का नेक काम कर रही हैं. नीतू अब ख़ुद बीएड कर चुकी हैं.
8- उपलब्धि मिशा चंदोला

उत्तराखंड की रहने वाली उपलब्धि ने उत्तराखंड में 5 से लेकर 50 साल की महिलाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. 29 साल की उपलब्धि ‘Teach Girls’ के ज़रिये 80 बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं.
9- मधु कुलश्रेष्ठ

आगरा की रहने वाली मधु कुलश्रेष्ठ Underprivileged बच्चों को शिक्षा के माध्यम से नयीं ज़िंदगी देने का कार्य कर रही हैं. मधु ने अपना ये सफ़र 2 बच्चों से शुरू किया था. आज वो LKG से क्लास VII तक के 80 बच्चों को पढ़ा रही हैं.
10- रणजीत सिंह

मध्यप्रदेश के गौ खेड़ा गांव के रहने वाले रणजीत और उनकी छोटी सी टीम गांव के बच्चों को एडवांस स्टडी दिला रहे हैं. रणजीत गांव के बच्चों को वीकेंड क्लासेज़ देते हैं. 20 छात्रों से शुरू हुआ ये सफ़र आज 60 छात्रों तक पहुँच गया है.
11- अनुपम कुमारी

पूर्वी दिल्ली के ‘मुल्ला कॉलोनी’ की अनुपम कुमारी अपनी कमियों से जूझते हुए कूड़ा बीनने और मैला ढोने वालों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. अनुपम कई एनजीओ के ज़रिये इन लोगों की मदद कर रही हैं.
12- अदिति प्रसाद

तमिलनाडु की अदिति बच्चों को एक कदम आगे की ओर ले जा रही रही हैं. अदिति ‘Indian girls who can code’ के ज़रिये लड़कियों को Coding और Robotics के बारे में जानकारी दे रही हैं. पिछले 10 सालों में वो 20 हज़ार बच्चों को इससे जोड़ चुके हैं.
13- सिमरन प्रीत कौर

दिल्ली की रहने वाली सिमरन ‘Pins and Needles’ के ज़रिये ने सिर्फ़ ग़रीब बच्चों की बल्कि उनके बेरोज़गार माता-पिता की भी मदद कर रही हैं. सिमरन ग़रीब बच्चों को पढ़ना और उन्हें कई तरह की ट्रेनिंग देकर रोजगार के योग्य बनाने का काम कर रही हैं.
इन सभी लोगों की इस नेक कोशिश को हमारा सलाम.