सिनेमाघरों में फ़िल्म देखने का किसे शौक नहीं होता? बड़े पर्दे पर अपने पसंदीदा स्टार को डांस और रोमांस करते देखने का अपने आप में ही एक आनंद है. बाहर से देखने में बेशक सिनेमाघर बिलकुल साफ़ और चकाचक दिखाई देता हो, पर इसके अंदर भी एक काली सच्चाई छुपी है, जिसे सिनेमाघर और उसमें काम करने वाले आपको कभी नहीं बताते. आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ही बातें ले कर आये हैं, जिन्हें सिनेमाघर वाले हमेशा अपने कस्टमर से छिपाते आये हैं.
कभी ढंग से साफ़ नहीं होता सिनेमाघर.
एक के बाद एक शो चला कर कमाई करने के चक्कर में सिनेमाघर वालों के पास इतना वक़्त ही नहीं होता कि वो इसकी सफ़ाई ढंग से कर सकें. इसलिए इसकी सफ़ाई के लिए रात का वक़्त चुना जाता है, जब हॉल पूरी तरह से खाली होता है.
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हॉल की तेज़ आवाज़ कानों के लिए है नुकसानदायक.
एक्शन फ़िल्मों में मार-धाड़ को दिखाने के लिए ज़बरदस्त साउंड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इन साउंड सिस्टम्स की आवाज़ कई बार इतनी तेज़ होती है कि आपके कानों पर बुरा असर डालती है. इसलिए विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं ज़्यादा एक्शन फ़िल्में हॉल में देखना आपकी सेहत पर बुरा असर डालती है.
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कुर्सियों के नीचे कबाड़ रख कर आप कर सकते हैं मदद.
फ़िल्म ख़त्म होने के तुरंत बाद हॉल की सफ़ाई करने पहुंचे कर्मचारियों के लिए उन कूड़ों को उठाना आसान होता है, जो आपकी सीट के नीचे रखा होता है. मदद करने के चक्कर में पर कहीं आप कूड़े को कुर्सी के बिलकुल नीचे न छिपा दें.
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बाज़ार से दोगुने दाम पर बेचा जाता है पॉपकॉर्न.
फ़िल्म देखते वक़्त पॉपकॉर्न खाना किसे पसंद नहीं! पर यही पॉपकॉर्न यदि आप हॉल में खाते हैं, तो ये आपकी जेब ढीली कर देते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, सिनेमाघरों में चीज़ों के दाम बढ़ा-चढ़ा कर बेचा जाता है.
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सब पर रहती है सिनेमाघर वालों की नज़र.
कार्नर सीट पर बैठ कर इश्क़ करने वालों कपल को समझना चाहिए कि बेशक आप अंधेरे में बैठे हों, पर हॉल में लगे ख़ुफ़िया कैमरे आप पर भी नज़र गड़ायें हुए होते हैं. इसलिए अबकी बार कुछ करने से पहले ज़रा ध्यान रखियेगा.
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सिनेमाघर में मिलने वाले पॉपकॉर्न की खुशबू क्यों होती है अलग?
सिनेमाघर में मिलने वाले पॉपकॉर्न की खुशबू कुछ ऐसी होती है कि न चाहने के बावजूद आप इसे आर्डर कर ही देते हैं. इसके लिए सिनेमाघर वाले अपनी ख़ास रेसेपी का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ग्राहकों को इसकी तरफ़ लुभा सकें.
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1981 से पहले सीटों पर नहीं होते थे कप होल्डर्स.
फ़िल्म देखते वक़्त अपनी ड्रिंक्स को आपने कई बार सीट पर लगे कप होल्डर में रखा होगा, पर क्या आप जानते हैं कि 1981 से पहले इनका नाम-ओ-निशान तक नहीं था.
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Combo Deal नहीं बचाते आपके पैसे.
सिनेमघरों तक खींचने के लिए बेशक वो Combo Deal जैसे कई लुभावने ऑफ़र देते हों, पर सच्चाई ये है कि इससे आपको कोई फ़ायदा नहीं होता. सभी चीज़ों को अलग-अलग खरीद कर आप Combo Deal से ज़्यादा पैसे बचा सकते हैं.
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हर बार पॉपकॉर्न नहीं होते फ़्रेश.
दिखने में बेशक ये पॉपकॉर्न फ़्रेश लगते हों, पर असलियत ये है कि ज़्यादा बने हुए पॉपकॉर्न को कर्मचारी प्लास्टिक की थैलियों में बंद करके रख देते हैं, जिन्हें अगले दिन दोबारा गर्म करके बेच दिया जाता है.
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Feature Image Source: DNAIndia