सुबह उठ कर और रात को सोने से पहले हम सब एक काम करना नहीं भूलते और वो है दांतों की सफ़ाई. ये काफ़ी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे हमें बचपन से ही सिखाया गया है. लेकिन ब्रश करना आधुनिक दुनिया का हिस्सा ही नहीं, बल्कि सदियों से इंसानों की ज़िंदगी का हिस्सा बना हुआ है. वक़्त के साथ इसके रूप में बदलाव ज़रूर हुआ है, लेकिन दांतों को साफ़ रखने की अहमियत हमारे पूर्वज़ों को भी पता थी.

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दातून का इतिहास करीब 3500 B.C. में मिलता है. उस वक़्त लोग अगल-अलग पेड़ों की मुलायम टहनियों को तोड़ कर उससे अपने दांत साफ़ किया करता था. इसे अगर दुनिया का सबसे पुराना दांतों को साफ़ करने का ज़रिया कहा जाए, तो ग़लत नहीं होगा.

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दातून को पूरी दुनिया ने अपनाया था. यहां तक कि इस्लामिक देशों में भी. साफ़ और स्वच्छ होने के साथ-साथ इसमें हानि पहुंचाने वाला कोई गुण नहीं था.

लोगों को जब पेड़ों के फ़ायदों का पता चला तब दातून के लिए भी पेड़ों को चुना जाने लगा. नीम के पेड़ को दांतों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद बताया गया. इसकी लकड़ी से न सिर्फ़ दांत साफ़ होते थे, बल्कि दातून चबाने से जो रस बाहर आता था, उससे मुंह की बदबू भी दूर रहती थी, साथ ही इस रस का कुछ हिस्सा पेट में भी जाता था, जो पेट के कीटाणुओं को मारने का काम भी करता था.

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इसके साथ ही दुनिया के कई देशों में दातून की जगह हाथों की उंगलियों का भी इस्तेमाल होता था. लोग उंगलियों में नमक लगा कर उससे अपने दांतों की सफ़ाई करते थे.

कई सदियों तक तो दातून और उंगलियां ही लोगों के दांत साफ़ करने का ज़रिया रहे, साल 1498 में चीन में आधुनिक ब्रश की खोज हुई. करीब-करीब आज के ब्रश जैसा दिखने वाला ये प्रोडक्ट कई मामलों में अच्छा था. लेकिन समस्या ये थी कि लोग प्लास्टिक से मुंह धोने के खिलाफ़ दिखे.

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चीन के बाद 1780 में ब्रिटेन के William Addis नामक एक शख़्स ने चीनी ब्रश जैसा मिलता-जुलता ब्रश बनाया. लेकिन वहां के लोगों को ये पागलपन लगा और William Addis को जेल में बंद कर दिया गया. उसने इसी ब्रश के सहारे जेल के अंदर एक गढ्ढा खोदा और वहां से भाग खड़ा हुआ. जेल से भागने के बाद William Addis ने घोड़े के बाल और उसकी हड्डी से हज़ारों ब्रश बनाए. ये इतने लोकप्रिय हुए कि ब्रिटेन में हर किसी की ज़िंदगी का हिस्सा बन गए.

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1937 में अमेरिका द्वारा आधुनिक ब्रश का एक और वर्ज़न बनाया गया, जो बिलकुल आज के ब्रश जैसा था. अमेरिका ने इसे पेटेंट करा लिया. अब ऐसे ब्रश बनाने का अधिकार सिर्फ़ अमेरिका के पास आ गया. इस ब्रश में जानवरों के बाल की जगह नाइलोन का प्रयोग किया जाने लगा था. इस कारण दुनियाभर ने इसे अपनाया.

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आज आपको कई अलग-अलग तरीके के ब्रश देखने को मिलते हैं. टेक्नोलॉजी के आने के बाद ब्रश में भी इसका इस्तेमाल शुरू किया गया. बदलते-बदलते वो रूप हमारे सामने आया है, जो टूथब्रश आज हम इस्तेमाल करते हैं. क्यों हैं न टूथब्रश का इतिहास शानदार. तो जल्दी से इस पोस्ट को शेयर करें और अपने दोस्तों को भी इसके बारे में बताएं.