अगर आपके साथ अन्याय हुआ है तो उसे एक बुरा सपना समझकर भूलने से बेहतर है उसके ख़िलाफ़ लड़ना. दलित अधिकारों के लिए कार्य करने वाली तमिलनाडु की कौशल्या ने ऐसे ही लोगों को जीने की एक नई राह दी है, जो किसी न किसी अन्याय के शिकार हुए हैं.
एक पीड़ित से दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाली कौशल्या एक बार फिर शादी के बंधन में बंध चुकी हैं.

दरअसल, कौशल्या ने साल 2015 में मात्र 19 साल की उम्र में परिवार के ख़िलाफ़ जाकर 22 साल के दलित युवक शंकर से शादी की थी, जबकि कौशल्या का परिवार प्रभावी थेवर समुदाय से आता है. इसी बात को लेकर उनके पिता उनसे नाराज़ थे. इसी नाराज़गी के चलते कौशल्या के पिता ने 13 मार्च, 2016 को तिरुपुर ज़िले के उडुमालीपेट बस स्टेंड पर भाड़े के हत्यारों की मदद से शंकर की हत्या करवा दी. ये वारदात कैमरे में भी क़ैद हो गई.
दलित अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी
Pictures of self respect marriage of Kausalya and Sakthi @NewIndianXpress pic.twitter.com/JYgmlrbJf6
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पति की मौत के बाद कौशल्या ने अपने ससुराल में ही रहने का फ़ैसला किया. शंकर के माता-पिता का ख़्याल रखने के साथ-साथ उनके रहने के लिए घर भी बनवाया. हर जगह न्याय के लिए मदद मांगने के बाद भी जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो कौशल्या ने अकेले ही ये जंग लड़ने की ठान ली. इस दौरान उन्होंने ‘Shankar Social Justice Trust’ की शुरुआत भी की. इस संस्था के ज़रिये कौशल्या ने उन लोगों की मदद करने का फ़ैसला किया, जो उन्हीं की तरह दूसरी जात में विवाह करने को लेकर न्याय के लिए भटक रहे थे. इस दौरान शक्ति ने कौशल्या का हर क़दम पर साथ निभाया.
पति के हत्यारों को पहुंचाया सलाख़ों के पीछे
After the marriage, Kausalya and Sakthi garlanding periyar statue @NewIndianXpress pic.twitter.com/XTI1PoMBq7
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पति शंकर के हत्यारों को कठघरे तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया. वो पहली बार उस वक़्त सुर्खियों में आई, जब उन्होंने इस मामले में अपने पिता चिन्नासामी और मां अन्नाक्ष्मी के ख़िलाफ़ गवाही दी थी. 12 दिसंबर, 2017 को तिरुपुर ज़िला अदालत ने उनके पिता समेत छह लोगों को मौत की सज़ा सुनाई थी.
पीड़ित से प्रेरक बनने की मिसाल

पति की मौत के बाद उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने एक बार खुदकुशी करने की कोशिश भी की थी, लेकिन अंतत: उन्होंने अकेलेपन और निराशा को पीछे छोड़ दलित अधिकारों के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया.
शक्ति ने दिया हमेशा साथ

विवाह बंधन में बंधने के बाद 21 वर्षीय कौशल्या ने कहा कि, शक्ति ने हर मुसीबत में उनका साथ निभाया. उनके साथ की वजह से ही वो उन मुश्किलों से लड़ पाई. जाति-व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए उनके सभी प्रयासों में शक्ति साथ खड़े रहे. इसलिए उन्होंने शक्ति से विवाह करने का फ़ैसला किया.
हालता चाहे कैसे भी हों लेकिन हार न मानने वाला जज़्बा ही आपको मंज़िल तक पहुंचाता है. कौशल्या उन्हीं महिलाओं में से एक हैं, जो लाखों पीड़ितों के लिए प्रेरणा का काम करती हैं.