बांग्लादेश में रहने वाले अबुल बजंदर दुनिया, वैज्ञानिकों और समाज के लिए किसी अजूबे से कम नहीं. इनके शरीर से पेड़ उगते थे. विज्ञान की भाषा में इसे Epidermodysplasia Verruciformis कहते हैं. पेशे से रिश्सा चलाने वाले अबुल की माली हालत नहीं थी. इस बीमारी के कारण उनसे ये काम भी छिन गया.

अबुल दुनिया के सिर्फ़ तीसरे ऐसे शख़्स थे, जिन्हें ये बीमारी थी. विज्ञाने के लिए भी चुनौती बनी इस बीमारी की इलाज कई सालों से खोजा जा रहा था. कई डॉक्टर्स और वैज्ञानिक अबुल के शरीर की जांच कर चुके थे. अबुल से अब दर्द बर्दाशत नहीं हो रहा था.

अबुल बताते हैं कि उन्हें लगता था कि वो कभी अपने बच्चों को गौद में नहीं ले पाएंगे. उनके साथ खेलना किसी सपने जैसा था. लेकिन डॉक्टर्स ने उनका हौसला बांधे रखा. करीब एक साल पहले उन्हे इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए एक ऑपरेशन हुआ, डॉक्टर्स जानते थे कि ये बीमारी एक सर्जरी से ठीक नहीं हो सकती.

अबुल की 16 बार सर्जरी हुई और 5 किलो पेड की छाल निकाली गई. हाल ही में उनकी आखरी सर्जरी को किया गया और इसका रिज़ल्ट शानदार था. उन्हें Epidermodysplasia Verruciformis ने निजात मिल चुकी थी.

खुद विज्ञान के लिए भी ये सर्जरी किसी अजूबे से कम नहीं थी. डॉक्टर्स खुद मानते हैं कि ये उनके लिए भी उपलब्धी है.

अबुल अपनी सर्जरी से काफ़ी खुश हैं. अब वो अपने सारे सपने पूरे कर सकते हैं, जो उन्होंने अपनी बीमारी के कारण देखने छोड़ दिए थे. 

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