ज़रा याद करिए बचपन की वो आर्ट बुक, जिसमें जंगल को हम हरे रंग से भर देते थे और समुंदर को नीले रंग से. वो बीच में से उगता सूरज और ख़ूबसूरत सा समुद्री तट. अफ़सोस आंखों को सुकून देने वाला ये नज़ारा अब उस ड्रॉइंग बुक में, हॉलीडे पैकेज बेचने वाले विज्ञापनों में या किसी फ़िल्म के गाने में ही देखने को मिलता है.
2017 के सर्वे अनुसार, दुनियाभर में हर मिनट 10 लाख से ज़्यादा प्लास्टिक की बोतलें ख़रीदी जाती हैं. 2021 तक ये मात्रा 20 प्रतिशत और बढ़ जाएगी. ज़रा गौर करिए घर से निकलते ही आप कितनी चीज़ें ऐसी इस्तेमाल करते हैं, जिनका दोबारा प्रयोग नहीं हो सकता. वो चाहे प्लास्टिक की प्लेट में मिल रहा मोमोज़ हो, चाहे प्लास्टिक का चम्मच. हर पल इस्तेमाल होने वाले ये गैर-बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स पिछले कई दशकों से समुद्री जीवों और वातावरण को भयानक नुकसान पहुंचा रहे हैं.
हम जब भी समुद्र के बारे में सोचते हैं, तो दूर तक फैला साफ़ पानी और जलीय जीव ही हमारे ज़हन में आते है. लेकिन फ़ोटोग्राफ़र Caroline Power ने कैरिबियन सागर की कुछ ऐसी ही चौंका देने वाली तस्वीरें शेयर की हैं कि हमें अपनी आधुनिकता पर शर्म आने लगेगी.
इसके अलावा ब्रिटिश गोताखोर Richard Horner ने समुद्र की निचली सतह की सच्चाई अपने कैमरे से दिखाई. बाली के एक द्वीप में कैद हुई तस्वीरें और फ़ुटेज किसी को भी डरा दें. रिचर्ड ने ये वीडियो मांटा पॉइंट, जो कि द्वीप से 20 किलो मीटर दूर हैं, वहां शूट की है.
इस प्रदूषण का जानलेवा असर समुद्री जीवों पर पड़ रहा है. हम अपने स्वार्थ और सुविधाओं के लिए कई जीवों की मौजूदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. हमारे स्वार्थ की हद तब पार हो गई, जब 2015 में मुम्बई वरसोवा बीच पर शुरू हुआ भारत का सबसे बड़ा सफ़ाई अभियान, करीब दो साल बाद गुंडागर्दी के चलते बंद हो गया. अगर इस संवेदनशील मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो शायद हमारी आने वाली पीढ़ी समुंदर को नीले रंग से नहीं भरेगी.