बाज़ार रंग, पिचकारी से सज चुके हैं और दुकानों से मिठाईयों की ख़ुशबू आ रही है. कुछ लोग होली सेलिब्रेशन के लिये अपने घर निकल चुके हैं, तो वहीं कुछ अब तक छुट्टी के मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. अब सीधी बात है ये कि बचपन से लेकर अब तक होली सेलिब्रेशन में बहुत बदलाव आया है और इस दौरान हम सब कहीं न कहीं अपने बचपन को मिस भी करते हैं.
बचपन की होली और अब में क्या फ़र्क आया है, देखिये:
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