क्या आपने कभी सोचा है कि इस अनंत अंतरिक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई और क्या कभी इस ब्रह्मांड का अंत होगा और अगर अंत होगा तो कैसे होगा? 

ट्वीटर पर ख़ुद को खगोल विज्ञानी बताने वाले अक्षत ने इसी मुद्दे पर एक दिलचस्प थ्रेड लिखा. तो जनाब सीट बेल्ट बांध लीजिये और चलिए चलते हैं वक़्त के शुरुआत से अंत तक की यात्रा पर. दूसरे शब्दों में ब्रह्मांड की शुरुआत से अंत की यात्रा पर: 

शुरुआत में (जब कुछ भी नहीं था), लगभग 13.8 बिलियन साल पहले, सारा अंतरिक्ष (Space), समय और ऊर्जा एक पिन के सिर के बराबर जगह पर इकठ्ठा थे. अज्ञात कारणों से ये नन्हा ब्रह्मांड फैलने लगा और ब्रह्मांड में मौजूद किसी भी चीज़ की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा छोड़ने लगा.

और तब से इसका विस्तार हो रहा है! नन्हा ब्रह्मांड बहुत गर्म, सघन और ज़ाहिर तौर पर छोटा था. ये सूर्य की सतह से ज़्यादा गर्म था, किसी तारे की कोर से ज़्यादा गर्म था, यहां तक कि किसी मरते हुए तारे के दिल से भी कहीं ज़्यादा गर्म था.  

इतना गर्म कि क्वार्क(Quarks), इलेक्ट्रान, न्यूट्रिनोस (Neutrinos) आदि जैसे मूलभूत कण अविश्वसनीय गति पर एक-दूसरे से टकरा रहे थे. प्रारंभिक ब्रह्मांड अव्यवस्थित, गंदा और उच्च ऊर्जा वाले प्रकाश और दूसरे कणों से भरा था.

ग़ौरतलब है कि जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार होता है, वैसे वैसे ये ठंडा होता जाता है. इसलिए जैसे-जैसे ये फैलता गया, आकार में और बड़ा होता गया, तापमान नीचे गिरता गया और इन कणों की गति धीमी हो गई. वो धीरे-धीरे एक-दूसरे को आकर्षित करने या धकेलने लगे. इसी के साथ कणों के टकराने का सिलसिला ख़त्म हो गया.

अब विद्युत चुम्बकीय बल (Electromagnetic force) के कारण इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक (nuclei) का नियंत्रण हो गया. और इस तरह जन्म हुआ ‘एटम’ का. इस प्रक्रिया को ‘पुनर्संयोजन’ के रूप में भी जाना जाता है. हाइड्रोजन जन्म लेने वाला पहला एटम (परमाणु) था.

मगर अब ब्रह्मांड अभी भी बहुत गर्म था. इतना गर्म कि पदार्थ का अस्तित्व ठोस रूप में नहीं था. सिर्फ़ मुख्यतः हाइड्रोजन गैस के विशाल बादल थे, ब्रह्मांड अभी भी अपारदर्शी था. 

अब आगे बढ़ने से पहले आप एक गहरी सांस लो.

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अपने आप में उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण बल के चलते हाइड्रोजन गैस के विशाल बादल एक जगह एकत्र होने लगे और गुरुत्वाकर्षण के कारण एक गोलाकार आकार ले लिया और वो चमकने लगे. 

आप जानते हैं कि ये गोलाकार गैसीय राक्षस क्या थे? ये पहले तारे थे! उन्होंने अपनी रौशनी से पूरे ब्रह्मांड को जगमग कर दिया. ये आशा, जीवन और जन्म की किरण थी.

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बिग बैंग की शुरुआत से लेकर पहले तारे के जन्म तक के समय को ‘PRIMORDIAL ERA’ कहा जाता है, जो ब्रह्मांड का पहला युग था. 

शुरुआत से अब तक का समय, T= 0 से 400 मिलियन वर्ष!

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अब ‘STELLIFEROUS ERA’ पर आते हैं. ये वो युग है जिसमें सितारे रात के आकाश पर शासन करते हैं, जिसमें हम जीवित हैं और उन्हें देख पा रहें हैं. हम उन्हें देखते हुए सोचते हैं कि ये क्या है? और ये सब कैसे शुरू हुआ? यह वो युग है जिसमें आकाशगंगाएं निहारिका (Nebulae) से बहुत अच्छी दर पर तारे उत्पन्न कर रही हैं. 

तो ये युग कब समाप्त होगा? ये तब ख़त्म होगा जब अंतिम तारा समाप्त हो जाएगा. ग़ौरतलब है कि तारा जितना छोटा होगा उसका जीवन उतना ही लंबा होगा. तो सबसे छोटे तारे Red Dwarfs होते हैं और उनका जीवनकाल लगभग एक खरब वर्ष (1 trillion years) है. वो अभी भी शिशु हैं और इन्हें समाप्त होने में लगभग एक खरब वर्ष लगेंगे.

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जैसे ही अंतिम तारा मर जाएगा, आकाशगंगाएं अपनी संरचना और रंग बदलना शुरू कर देंगी और वो धुंधली होती जाएंगी. जैसे ही अंतिम तारा मरेगा, वैसे ही Stelliferrous युग का अंत और DEGENERATE युग की शुरुआत होगी. इस युग में मृत सितारों की लाशें से अंतरिक्ष भरा पड़ा होगा.

 अब इसके बाद क्या होगा? ये भी जानना चाहते हैं! तो ये थ्रेड अब आपके हवाले है.