दुकानें सज चुकी हैं, बाज़ार ख़रीदारी करने वालों से भरे पड़े हैं, घर सफ़ेदी और लाइटों से चमकने लगे हैं तो दूसरे शहरों में काम करने वाले भी घर जाने की तैयारी में लगे हुए हैं. दीपावली का त्यौहार आते ही हमें कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिलता है. हो भी क्यों नहीं, दीपावली का त्यौहार है ही कुछ ऐसा. दो दिन बाद देशभर में दीपावली मनाई जाएगी.
वैसे तो इस ख़ास मौके को हर कोई घरवालों के साथ सेलिब्रेट करना चाहता है, लेकिन कुछ बैचलर्स घरवालों को ऑफ़िस में काम होने का बहाना बनाकर दोस्तों के साथ बियर पार्टी का प्लान कर चुके होते हैं. अकसर देखा जाता है कि अधिकतर बैचलर्स इस ख़ास मौक़े पर घर पर दोस्तों के साथ बैठकर बियर पार्टी का मज़ा लेना पसंद करते हैं. मगर आज हम बैचलर्स के लिये बियर पार्टी के अलावा भी कुछ ऐसे बेहतरीन आइडियाज़ लाये हैं, जो आपकी दीपावली को हैपनिंग बना देंगे.
तो चलिए अगर आप भी बैचलर हैं तो इस दीपावली दोस्तों के साथ क्या-क्या कर सकते हो?
1- दोस्तों के साथ ‘लॉन्ग ट्रिप’
दीपावली के मौके पर अकसर देखा जाता है कि दिवाली से एक हफ़्ते पहले ही दारू का जुगाड़ हो जाता है. किसके घर में दारू पार्टी होगी ये भी पहले ही डिसाईड हो जाता है, लेकिन इस तरह की पार्टी तो आप कभी भी कर सकते हो. क्यों न इस बार किसी लॉन्ग ट्रिप पर ऐसी जगह जाएं जहां आपकी सालभर की टेंशन एक दिन में ही छूमंतर हो जाए.
2- घर पर ही मूवी हॉल का मज़ा
दिवाली से पहले दारु का जुगाड़ कर सकते हैं तो क्यों न इस बार घर पर दोस्तों के साथ हॉल वाली मूवी का फ़ील लिया जाए? दिवाली के दिन वैसे भी सभी थियेटर बंद रहते हैं. ऐसे में आप प्रोजेक्टर का जुगाड़ करके अपनी कोई मनपसंद मूवी देख सकते हो. साथ ही दोस्तों के साथ घर के बने खाने का मज़ा ले सकते हो. ऑफ़िस के दोस्तों के साथ दिवाली सेलेब्रेट करने का इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता है.
3- यहां मना सकते हैं यादगार दिवाली
भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां की दिवाली एक ख़ास महत्व वाली होती है. आप चाहें तो इस ख़ास मौके पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और वृंदावन जैसी जगहों पर जा सकते हैं. इसके लिए आपको ज़्यादा पैसे भी ख़र्च नहीं करने पड़ेंगे.
4- दिवाली की रात ग़रीबों के साथ
दीपावली का मतलब सिर्फ़ अपनी ख़ुशी ही नहीं, बल्कि दूसरों की ख़ुशी भी होती है. हम सालभर दोस्तों के साथ महंगे-महंगे रेस्टोरेंट्स में जाकर खाना खाते हैं, मूवी देखते हैं, ट्रिप पर हज़ारों खर्च करते हैं, क्यों न इस बार उन लोगों के चहरे पर मुस्कान लाई जाए जिनका हर दिन बदहाली में गुज़रता है.
5- किसी ‘ओल्ड ऐज होम’ या ‘अनाथालय’ जा सकते हैं
हम हर साल दिवाली के मौके पर घर जाते हैं, तो हमारे पेरेंट्स की आंखों में एक अलग ही चमक होती है. साल में एक बार घर आने वाले बच्चे का हंसता हुआ चेहरा देख मां बाप का दिल करता है कि बच्चे हमेशा उनके पास ही रहें, लेकिन इस दुनिया में कई ऐसे माता-पिता भी हैं जिनकी बूढ़ी नज़रें हमेशा अपने बच्चों के आने की राह तकती रहती हैं. जबकि कई ऐसे मासूम बच्चे भी हैं, जो मां-बाप के प्यार के लिए तरस रहे हैं. क्यों न इस दिवाली इन लोगों के लिए कुछ स्पेशल किया जाए.
6- हर साल पेरेंट्स के साथ, इस बार लैंडलॉर्ड के साथ
सालभर जिस लैंडलॉर्ड से हमारा छत्तीस का आंकड़ा रहता है, क्यों न गिले-शिकवे भूलकर इस बार उनके साथ दिवाली मनाई जाये. जिस घर को हम अपना दूसरा घर मानते हैं, क्यों न इस बार उसे सजाया जाये.
7- जो कपड़े अब नहीं पहनते हो उसे डोनेट कर सकते हो
दीपावली की तैयारियां ज़ोरों पर हैं ऐसे में हम सभी को साफ़-सफ़ाई का काम भी करना ही पड़ता है. क्यों न इस बार अपने वॉर्डरोब की सफ़ाई कर उसमें पड़े ऐसे कपड़ों को जिन्हें आप नहीं पहनते ज़रूरतमंदो को दे दें.
8- कामवाली दीदी को अच्छा सा गिफ़्ट
जब घर पर होते हैं तो मां कितने अच्छे से हमारा ख़्याल रखती हैं, लेकिन बैचलर्स के लिए कामवाली दीदी भी मां से कम नहीं होती. समय पर खाना मिलना, घर की साफ़-सफ़ाई और धुले हुए कपड़े तैयार मिलना. सालभर कामवाली दीदी हमारे लिए कितना कुछ करती हैं, लेकिन क्या इस ख़ास मौक़े पर हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता कि उन्हें कोई अच्छा सा गिफ़्ट देकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाइ जाए.
9- किसी ज़रूरतमंद दोस्त की मदद की जाए
हमारी ज़िन्दगी में कई लोग ऐसे होते हैं, जो मुसीबत में होते हैं लेकिन हमें इसका एहसास भी नहीं होता. बावजूद इसके वो हमारे साथ हर पल मुस्कराते रहते हैं. क्यों न उनको इस बार ऐसा सरप्राईज़ दिया जाये ताकि उसकी मुसीबतों को कुछ काम किया जा सके.
10- हैंड मेड चीज़ों का इस्तेमाल
अकसर दिवाली आते ही हम लोग चायनीज़ लाइट्स और विदेशी गिफ़्ट आइटम्स की ओर ज़्यादा आकर्षित होते हैं. ऐसे में ग़रीब लोगों की मेहनत से बने मिट्टी के दिये ख़रीदने वाला कोई नहीं होता. क्यों न इस बार कुछ ऐसा किया जाए जिससे कि इन लोगों की दिवाली भी ख़ुशियों वाली दिवाली हो.
बैचलर्स की दिवाली का मतलब सिर्फ़ यार-दोस्तों के साथ मौज़-मस्ती करना ही नहीं होता, बल्कि इस ख़ास मौक़े पर अपनी ज़िम्मेदारी निभाना भी ज़रूरी है.