मुंह में गुटखा और तम्बाकू भरकर कर जब भी कोई दिखता है, तो सबसे पहले दिमाग में यही आता है कि ज़रूर ये कनपुरिया होगा. वैसे कानपुर का नाम आजकल टीवी सीरियल्स और मूवीज़ में भी ख़ूब सुनाई देता है. ‘भाभी जी घर पर हैं’ तो आपने देखा ही होगा, उसके सारे किरदार कानपुर वासियों को बखूबी पेश कर रहे हैं. कानपुर के लोगों का इतना भौकाल है कि कहीं दूर से कोई बस कनपुरिया बोल दे, दस और कानपुर वाले खड़े हो जाएंगे. वैसे तो कानपुर एक औधोगिक शहर है.

staticflickr

लेकिन कानपुर के लोगों की भी एक अलग पहचान होती है. भीड़ में आप आसानी से एक कनपुरिया को पहचान सकते हैं.

तो ये हैं कानपुरवासियों की वो बातें जो आपको एक कनपुरिये को पहचानने में मदद करेंगी:

1. ठग्गू के लड्डू तो हमारे यहां मिलते हैं

foodebaba

कानपुर के लोगों के मुंह से अगर आप ये बात न सुने कि लड्डू तो हमारे यहां मिलते हैं तो वो कानपुर का हो ही नहीं सकता. ठग्गू के लड्डू और बदनाम कुल्फ़ी का ज़िक्र कनपुरिया न करे ऐसा हो ही नहीं सकता.

2. नाश्ते में चाहिए तो बस ब्रेड-बटर और छाछ

कोई व्यक्ति अगर नाश्ते में ब्रेड-बटर-छाछ खाने की बात करे, तो समझ जाओ कि वो पक्का कनपुरिया है. लेकिन दही-जलेबी भी इनको बेहद पसंद होती है.

3. दादागिरी ‘हम कनपुरिया हैं’

ytimg

दादागिरी तो कनपुरियों के रग-रग में बसी होती है. प्यार से मांगोगे तो दूध नहीं खीर देंगे, लेकिन अगर पंगा लिया तो फिर समझ लो ख़ैर नहीं बेटा तुम्हारी.

4. ‘हम’ वाली बात

india

देखिए बच्चों को प्यार और बड़ों को सम्मान देना कानपुरवालों को अच्छे से आता है. हम वाली तहज़ीब तो लखनऊ और कानपुर वालों में ज़रूर देखने को मिलती है. क्योंकि ये ‘मैं’ से दूर और ‘हम’ के बेहद करीब होते हैं.

5. ‘कंटाप’ पर तो कनपुरियों का पेटेंट है

buzzaaena

भीड़ में अगर आपको कभी… ‘अभी एक कंटाप देंगे न तो सीधे हो जाओगे’ सुनाई दे तो समझ जाओ कि बोलने वाला इंसान ठेठ कनपुरिया है.

6. टोपा हो का बे!

ytimg

कोई कानपुर वाला ही किसी को टोपा बोल सकता है. अब एक ठो बात ये भी जान लीजिये कि जो इंसान दिमाग से पैदल, अक्ल से बैल होता है, उसी को ही बोलते हैं ‘टोपा’.

7. गंगा बैराज

patrika

गंगा में भले ही पानी न हो या काला पानी हो लेकिन हर कनपुरिया की टाइम लाइन पर गंगा बैराज की एक सेल्फ़ी ज़रूर दिख जायेगी.

8. भइया ज़रा मसाला दीजियेगा

firstpost

कानपुर वालों के लिए मसाला का मतलब केवल सब्ज़ी में डालने वाले मसालों से नहीं होता है. क्योंकि उनके लिए गुटखा-तम्बाकू भी मसाला ही होता है. एक कनपुरिया मसाला होठ के नीचे दबा कर न बोले और बोलते वक़्त तीन-चार बार मसाले की पिचकारी के दीवार पर डिज़ाइन न बनाये तब तक वो कनपुरिया कैसे कहलायेगा.

9. गऊ प्रेम

hindustantimes

भले ही देश की राजनीति का एक अहम मुद्दा गौ रक्षा हो, लेकिन अगर कानपुर वाले व्यक्ति को दूसरे शहर में गाय दिख जाए तो उनके मुंह से सबसे पहले यही निकलता है कि, यहां तो गाय दिखती ही नहीं, हमारे कानपुर में तो हर गली-मोहल्ले में गाय मिल जाती है.

पर भइया एक बात तो है कि कानपुर वालों का दिल बहुत साफ़ होता है, किसी की मदद की बात हो या दोस्तों के लिए लड़ाई मोल लेने की, कानपुर वाले सबसे आगे होते हैं.

Feature Image Source: wikimedia