कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में क़ैद रहने को मज़बूर हैं. घर में हैं इसलिए हमारा सबसे ज़्यादा सामना मां से ही होता है. आजकल दिन के 24 घंटे में 12 घंटे तो मां की बातें ही सुनने को मिल रही हैं.

सच कहूं तो ये कोरोना के चक्कर में जबसे घर पर रहने लगे हैं सब कुछ बदल गया है. एक वो दौर था जब हम ऑफ़िस जाया करते थे. तब कभी नहीं समझ आता था कि हम जितनी फ़रमाइशें मां से करते हैं, और मां जितने प्रेम से पूरी कर देती हैं, वो सब करना कितना मुश्किल होता है. मां कितना काम करती है घर पर और हम कितना ज़ुल्म करते हैं मां पर.

तब मां जब ताने मारती थी या नाराज़ होती थी तो बुरा लगता था, पर अब समझ आ गया है कि मां जितना काम करती है उतना काम तो मैं दो दिन भी नहीं कर सकता. मां पर तो सच में अत्याचार करते हैं हम! और ये कोरोना. ख़ैर, इस कोरोना और मां के तानों का जो तालमेल बैठा है वो तो पूछो मत.
इस कोरोना ने सचमुच में लाइफ़ झंड करके रख दी है. अब तो मम्मी भी कोरोना स्टाइल में ही ताने मारने लगी हैं.
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