कुक्कुर, श्वान और कुत्ता के संबोधन से पुकारा जाने वाला जीव संभवत: इंसान का सबसे पुराना और वफ़ादार सहयोगी है. गर, अध्ययनों और वैज्ञानिक शोधों को देखें तो हम पाते हैं कि, कभी मानव का सबसे अहम् सहयोगी ग्रे(धूसर) भेड़िया हुआ करता था. वह भेड़िया मानव के संपर्क में कोई 33,000 साल पहले आया था, और वो सम्पर्क जगह दक्षिण-पूर्व एशिया थी.

ऐसा कहा जाता है कि, लगभग 15,000 साल पहले पालतू कुत्तों का एक छोटा समूह मिडिल ईस्ट और अफ़्रीका में घूमता पाया जाता था. कैनिस लुपुस फैमिलियारिस नामक प्रजाति ने लगभग 10,000 साल पहले यूरोप का रुख किया, जब सभ्यताएं इस उपजाऊ सरज़मीं में फलने-फूलने लगीं और मानव ने खेत और गांवों को बसाना शुरू किया. कुत्ते वहां निगरानी के लिए मौजूद थे, भेड़ों के समूह की निगरानी हेतु और वे मानव से उसे टहलाने और घुमाने-फिराने की अपेक्षा करते थे.

चीन, कनाडा, फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक जर्नल की रिपोर्ट के हवाले से 58 कुक्कुरीय प्रजाति के जानवरों की बात कही है. उन्होंने इस रिसर्च में 12 ग्रे भेड़ियों, उत्तरी चीन से 12 देशी कुत्तों, दक्षिण-पूर्व एशिया से 11 कुत्तों, नाइजीरिया से 4 कुत्ते और एशिया से 19 कुत्तों को शामिल किया था. साथ ही उन्होंने अमरीका और यूरोप से कुत्तों को साइबेरिया के हस्की कुत्तों, तिब्बत के मास्टिफ और जर्मन शेफर्ड को भी शामिल किया था.

इस पूरे रिसर्च और अध्ययन को लेकर उनका मानना है कि ये सारी प्रजातियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. हालांकि समय बीतने के साथ-साथ इसमें कई बदलाव भी आए हैं, मगर इनमें पारिवारिक समानता तो देखने में मिलती ही है. इस पूरे मामले पर वैज्ञानिकों का कहना है कि बदलते समय के साथ-साथ इनमें भी कई तरह के बदलाव आए हैं. वे एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचने के क्रम में कई बदलावों से होकर गुज़रे हैं.

वैज्ञानिकों के अहम और विस्तृत रिपोर्ट के हवाले से ये बात तो स्पष्ट हो जाती है कि कुत्तों का हमारे ग्रह पर अस्तित्व कम-से-कम कोई 33,000 साल पुराना है.

ग्रे(धूसर) कुत्ते से इस पूरी परंपरा और वंश को जोड़ने की कवायद पुरानी है. साथ ही चीन के वैज्ञानिकों के अनुसार यह बात भी बाहर आती है कि चीन के कुत्तों के पुरखे भी भेड़िया थे.

इस पूरे अध्ययन ने पहली बार ऐसे खुलासे किए हैं कि, कुत्तों को पालतू बनाने का क्रम किस तरह शुरू हुआ और किस तरह आगे बढ़ता रहा. इस पूरे मामले पर वैज्ञानिकों का कहना है कि पालतू कुत्ते इस बात का द्योतक हैं कि मानव और प्रकृति किसी प्रजाति को किस प्रकार सहेज व विकसित कर सकते हैं.